कौन खुशी से मरता है मर जाना पड़ता है
साहित्य परिषद ने दी विख्यात गजलकर कुंवर बेचैन को विनम्र श्रद्धांजलि
साहित्य जगत में धु्रव तारे की तरह चमकने वाले हिंदी गजल के सच्चे सारथी प्रसिद्ध गजलकार डॉ. कुँवर बेचैन की मौत से साहित्य प्रेमी स्तब्ध हैं। उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए अखिल भारतीय साहित्य परिषद के पदाधिकारियों एवं सदस्यों ने कहा कि उनका निधन समाज व साहित्य के लिए अपूरणीय क्षति है। उनके जाने से हिंदी साहित्य जगत में गजल के एक युग का अंत हो गया है। साहित्य जगत ने गीत-गजल का पुरोधा खो दिया है। इस क्षेत्र में उनका योगदान अविस्मरणीय रहेगा। रेवाड़ी में आयोजित उनके कार्यक्रम की यादें आज भी लोगों के दिलों में आज भी ताजा है। रेवाड़ी के साहित्य प्रेमियों परिषद् की ओर से २८ मई २०१७ को आयोजिर्त एक शाम- कुँवर बेचैन के नार्म कार्यक्रम आज भी याद है। इस कार्यक्रम में जहाँ उन्होंने स्थानीय कवियों एवं रचनाकारों को प्रोत्साहित किया, वहीं बाल भवन में उनकी वाणी से श्रोता गदगद हो गए। मृत्यु के संबंध में स्वयं अपनी पंक्तियों को सच कर गए र्कि शाम ढले हर पंछी को घर जाना पड़ता है, कौन खुशी से मरता है मर जाना पड़ता है र्। कोराना काल में उन्हें आनलाइन श्रद्धांजलि देते हुए परिषद के प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष रमेश चंद्र शर्मा ने उन्हें हिंदी गजल का सच्चा प्रहरी व सारथी बताते हुए कहा कि हिंदी गजल की महान विभूति श्री बेचैन की जाना काव्य जगत की अपूरणीय क्षति है। साहित्य से एक मिलनसार व मृदु स्वभाव का व्यक्तित्व बिछुड़ गया है। युवा साहित्यकार सत्यवीर नाहडिय़ा ने कहा कि आज हिंदी कविता के एक युग का अंत हो गया है। एक मंचीय कवि के रूप में देश व दुनिया उन्हें हिंदी गजल के लिए सदैव याद करेगी। वह एक सहयोगी की भूमिका में सदैव तैयार रहते थे। उनका कहना था कि – पूरी धरा भी साथ दे तो और बात है, पर तू जरा भी साथ दे तो और बात हैर्। हिंदी गजल में उनका योगदान अविस्मरणीय रहेगा। परिषद् के महामंत्री गोपाल शर्मा उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि हिंदी गीत व गजल का एक पुरोधा हमसे छिन गया है। हिंदी कविता में धु्रव तारे की तरह चमकने वाले बेचैन जी के जाने से आज साहित्य प्रेमी भी बेचैन हैं। युवा रचनाकारों को प्रोत्साहित करने वाले बेचैन जी दिलों पर राज करने वाले व्यक्तित्व हैं। उन्होंने बताया कि साहित्य परिषद की ओर से रेवाड़ी में आयोजित कार्यक्रम युगों तक याद रखा जाएगा। उस कार्यक्रम के संयोजक एवं परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष राजेंद्र निगम राज ने कहा कि बेचैन जी का जाना अविश्वनीय व दुखदायी है। उन्होंने अनेक रचनाकारों को मंच पर उभरने व संवरने का मौका दिया है। परिषद के अध्यक्ष आचार्य रामतीर्थ ने कहा कि हमने सच्चा साहित्य सेवी खो दिया। कवयित्री दर्शना शर्मा, मुकुट अग्रवाल, योगेश कौशिक आदि ने उन्हें साहित्य सशक्त हस्ताक्षर एवं महान शब्द शिल्पी बताते हुए भावर्पूण श्रद्धांजलि अर्पित की।