रणघोष खास. रेवाड़ी
आक्सीजन की कमी से शहर के विराट अस्पताल में हुई चार मौतों का सच कुछ दिन बाद दफन हो जाएगा। इसकी वजह साफ है। सिस्टम में इतने सुराग हो चुके हैं कि उन्हें एक साथ भरना बहुत ही मुश्किल होगा। इस घटना के 24 घंटे बाद कार्रवाई के नाम पर मीटिंग और नेताओं की राजनीति का दौर चलता रहा। बाहरी तौर पर एक सुर सुनाई देता है कि जो भी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन लगता नहीं जांच सच के रास्ते से होकर गुजरेगी। हालांकि अभी एडीसी की जांच रिपोर्ट का इंतजार है। यहां बता दें कि पिछले 24 घंटों में अभी तक 7 लोगों की मौत हो चुकी है। सोमवार को जिले के डीसी- एसपी ने गैस प्लांट एवं विराट अस्पताल का दौरा किया। यह शहर का अकेला अस्पताल है जिसने आगे बढ़कर कोरोना पीड़ितों को अपने यहां जगह दी। आमतौर पर अधिकतर अस्पताल इसे बड़ा जोखिम मानकर पीछे हट जाते हैं। इससे पहले जब कोरोना ने दस्तक दी थी उस समय भी विराट अस्पताल में सबसे ज्यादा कोरोना मरीजों का इलाज हुआ था। ऐसे में अस्पताल की मंशा पर शक उठाना सीधे तौर पर ऐसे डॉक्टरों के हौसलों को कमजोर करना है जो जिंदगी का जोखिम उठाकर अपनी यह सेवाएं दे रहे हैं। आक्सीजन की कमी से मौते हुई हैं। यह खुद मृतक के परिजन चिल्ला चिल्लाकर बता रहे हैं। यह भी साफ हो गया है कि आक्सीजन की गाड़ी अधिकारी के इशारे पर रोक दी गई थी। घटना के बाद सिलेंडर फटाफट आ गए थे। समय के इस अतंर में ही मौत की असली वजह छिपी हुई है। क्या सोचकर गाड़ी को रोका गया। यह मसला इतना गहरा भी नहीं है कि दोषियों को पकड़ा ना जा सके। पेंच यह फंस रहा है कि इसमें बड़े हाथ शिकंजे में आ रहे हैं। जिस पर हाथ डालने से पहले जांच अधिकारी को बड़ी हिम्मत और हौसला दिखाना पड़ेगा। कुल मिलाकर अगर इस जांच में पीड़ितों को न्याय नहीं मिला तो यह कोरोना वायरस से भी खतरनाक सिस्टम की मौत होगी।