सीधी सपाट बात : हरियाणा में भाजपा को बेदखल करने के लिए कांग्रेस को भाजपा ही बनना पड़ेगा

रणघोष खास.  सुभाष चौधरी

हरियाणा की मौजूदा राजनीति में कांग्रेस हाईकमान अपने सीनियर नेताओं के तौर तरीकों को देखकर सहमा हुआ नजर आ रहा है। किसे जिम्मेदार माने किसे नहीं। मजाल हिम्मत दिखा सके। इसलिए फैसले प्रदेश में आकर नहीं दिल्ली से तय किए जा रहे हैं। मतलब भाजपा को सत्ता से बेदखल करने का इरादा रखने वाली कांग्रेस अपने घर में ही टुकडों टुकड़ों में बिखर चुकी है। यह हाल तब है जब सिर पर चुनाव है और वह पिछले 9 सालों से सत्ता से बाहर है। ऐसे हालात में कांग्रेस एक ही स्थिति में सत्ता वापसी कर सकती है संगठन के तौर पर मजबूत होने के लिए उसे भाजपा बनना पड़ेगा। पिछल कुछ दिनों से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुडडा को पूरी तरह थोड़ा बहुत सीनियर नेत्री कुमारी शैलजा, किरण चौधरी एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला को खुश करने पर ज्यादा एक्सरसाइज हो रही है।  इसका असर ऐसा है जैसा घरों में लंबे समय बाद फर्नीचर की जगह बदल देने से नया लुक आता है। इससे कांग्रेस के अंदर. बाहर बदलाव होगा वह कांग्रेस की हो रही मीटिंगों में मच रहे शोर से समझा जा सकता है।  दरअसल भाजपा अब देश प्रदेश में राजनीति की प्रयोगशाला बन चुकी है जहां दिन रात डिमांड. सप्लाई के हिसाब से फार्मूले तैयार होते हैं। संगठन के तौर पर कांग्रेस भाजपा से उतनी पीछे जा चुकी है जितना पाकिस्तान को चीन. अमेरिका का कर्ज उतारने में अपना सबकुछ दांव पर लगाना पड़ रहा है। सोचिए  देश के इतिहास में पहली बार बेहिसाब महंगाई के बावजूद सड़कें खामोश है। आक्रोश ने मानो अपना मिजाज ही बदल लिया हो। मजाल सत्ताधारी भाजपा के खिलाफ एकदम माहौल बना हो।    जिस मुख्यमंत्री मनोहरलाल खटटर को खटारा सरकार बताकर कांग्रेस इतराती थी अब वह उसी के राजनीति गणित को समझने के लिए अभी तक अपने सिर को खुजला रही है। इसकी वजह भी साफ है खट्टर सरकार के पीछे संगठन खंडा है तो कांग्रेस के पीछे व्यक्ति विशेष। भाजपा किसी भी समय सीएम को बदलकर किसे बैठा दे। इससे भाजपा संगठन प्रदेश की राजनीति पर कोई असर नहीं पड़ेगा। कांग्रेस में छोटा पदाधिकारी इधर उधर कर दो। ऐसे हल्ला मचेगा मानो मधुमक्खी के छत्ते पर पत्थर मार दिया हो। इसी मानसिकता का नतीजा है कि भाजपा के कार्यकर्ता हर तरह के बदलाव के लिए खुद को तैयार रखते हैं जबकि कांग्रेस में बदलाव से पहले ही भगदड़ शुरू हो जाती है।

भाजपा को कमजोर करने के लिए भाजपा बनना पड़ेगा

जिस तरह लोहे को लोहा काटता है उसी तरह राजनीति में अब भाजपा ही भाजपा को कमजोर कर सकती है। यह बात कांग्रेस को समझनी होगी। राजनीति में विचारधारा अब उसी तरह काम करती है जिस तरह आजकल के डॉक्टर्स अपने अस्पताल में मरीजों की कम. ज्यादा संख्या देखकर तय करते हैं कि मरीज को रेफर करने में भलाई है या फिर खुद इलाज करने में। जो हनुमान चालीसा बचपन में भूत पिशाच से मुकाबला करने के लिए याद कराई जाती थी वह इन दिनों नेता एक दूसरे का भूत उतारने में इस्तेमाल कर रहे हैं। इसलिए भाजपा का भूत उतारने के लिए  कांग्रेस को वह सबकुछ करना पड़ेगा जिसका इस्तेमाल करके भाजपा चारों तरफ से मजबूत हो चुकी है।

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