सूली पर चढ़ाने की सजा कैसे और कहां शुरू हुई?

कैसे हुआ इसका विस्तार, किस शासक ने किया खात्मा


आज यानी 7 अप्रैल को ‘गुड फ्राइडे’ (Good Fiday) है. गुड फ्राइडे को ग्रेट फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे या होली फ्राइडे भी कहते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रोम साम्राज्य के क्रूर शासक ने राजद्रोह के आरोप में ईसा मसीह को सूली पर लटका दिया. जिसके बाद ईसा मसीह ने शुक्रवार के दिन अपने प्राण त्याग दिए. ईसा मसीह की याद में गुड फ्राइडे मनाया जाता है. कई लोगों के मन में ये सवाल आता है कि दुनिया में ये सूली पर चढ़ाने की सजा कहां से और कैसे शुरू हुई. आइए आज आपको बताते हैं कि सूली पर चढ़ाने की यह विधि कहां से शुरू हुई.
सूली पर चढ़ा कर मारे जाने वालों में ईसा मसीह यानी इशू सबसे चर्चित हैं. BBC में छपी एक खबर के मुताबिक सूली पर चढ़ाने की शुरुआत शायद असीरिया और बोलीबोन में हुई थी. ये दो महान सभ्यताएं पश्चिम एशिया में विकसित हुईं थीं. मौत की सजा देने के लिए सूली पर चढ़ाने की यह विधि ईसा पूर्व छठी सदी में फारसी लोगों के यहां बहुत ज्यादा प्रचलित थीं. इस सजा को लेकर उपलब्ध सबसे पुरानी जानकारी असीरियाई लोगों के महलों पर बनाए गए चित्रों से मिलती हैं.
ऐसे हुआ विस्तार
साल 2003 में डॉक्टर सिलियर्स ने साउथ अफ्रीकन मेडिकल जर्नल में सूली पर चढ़ाने के इतिहास को लेकर एक खबर प्रकाशित की. इस लेख में बतागया गया कि फारस के लोग क्रॉस की बजाय पेड़ों या खंबों पर लोगों को सूली पर चढाते थे. ईसा पूर्व चौथी सदी में सिकंदर महान ने पूर्वी भूमध्यसागर के किनारे बसे देशों में सजा सुनाने के लिए सूली पर चढ़ाने का ऐलान किया. सिकंदर और उसके सैनिकों ने सोर शहर (लेबनान) में करीब 2000 लोगों को सूली पर लटका दिया.
सिकंदर के उत्तराधिकारियों ने मिस्त्र और सीरिया के साथ-साथ फोनीशिया द्वारा स्थापित उत्तरी अफ्रीका के महान शहर कार्थेज के लोगों को सूली पर लटकाने की सजा दी. पूनिक की लड़ाई के दौरान, रोम के लोगों ने सजा देने के इस तरीके को अपनाकर लगभग 500 सालों तक इसे प्रचलित रखा. कहा जाता है कि रोम के दिग्गज जहां भी गए उन्होंने सूली पर चढ़ाने की सजा शुरू की. सूली पर चढ़ाने की यह सजा बेहद दर्दनाक होती है. इस सजा में कुछ लोग घंटों में ही मर जाते थे वहीं कई लोगों की मौत कई दिनों बाद होती थी. बाइबिल में यीशू के बारे में कहा जाता है कि वो 6 घंटे तक जीवित रहे.
ऐसे हुआ खात्मा
रोमन सम्राट कान्सटेंटाइन ने चौथी सदी ईस्वी में सूली पर चढ़ाने की दर्दनाक और बर्बर सजा को खत्म कर दिया. इसके बाद उन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया. ऐसा करने वाले वो रोम के पहले सम्राट बने. उन्होंने धर्म को कानून के सम्मत बनाया. कान्सटेंटाइन ने भले ही सूली पर चढ़ाए जाने की सजा को खत्म कर दिया था लेकिन उसके बाद भी यह सजा दुनिया में कई देशों में दी जाती है. 1597 में जापान में 26 ईसाई मिशनरियों को सूली पर चढ़ा दिया गया था.

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