सैनी सभा प्रांगण में एकजुट हुए बाइस समाजों के प्रतिनिधि, जिले का नाम नारनौल ना होने तक संघर्ष का ऐलान

रायमलिकपुर तक की पंचायतों से मिलकर किया जाएगा संघर्ष का खाका तैयार


जिला का नाम नारनौल करवाने तथा सरकार द्वारा आननफानन में जिला अधिकारियों को एक दिन महेंद्रगढ बैठने के आदेशों को अविलंब रद्द करवाने के लिए सोमवार को सैनी सभा के रेवाडी रोड स्थित प्रांगण में नारनौल के विभिन्न 22 समाजों के प्रतिनिधियों की बैठक हुई।  स्टेट बैंक इंडिया के पूर्व मैनेजर गोकलचंद सैनी के संयोजन में हुई इस बैठक की अध्यक्षता सैनी सभा नारनौल के प्रधान भगवानदास सैनी ने की। बैठक को संबोधित करते हुए इसके संयोजक गोकलचंद सैनी, गौड सभा के प्रधान एडवोकेट राकेश महता रतनलाल एडवोकेट ने बताया कि लिखित इतिहास के अनुसार नारनौल  जिला मुख्यालय मुगलकाल से 460 वर्षां से चला रहा है। महाराज पटियाला के शासनकाल में यहां अदालत होने के साथसाथ गुडगांव, रेवाडी बावल भी कभी इस क्षेत्र में आते थे। वक्ताओं ने कहा कि आजाद भारत के पहले उपायुक्त आरएस पलटा ने भी अपना कार्यभार नारनौल में ही ग्रहण किया था। 1966 में हरियाणा के गठन के समय में जब केवल 7 जिले अस्तित्व में आए थे तब से ही जिले की संचालन प्रक्रिया जिला मुख्यालय नारनौल से ही शुरू हुई थी। पर्यटन की दृष्टि से भी नारनौल केन्द्र बिन्दु है तथा जिले की 4 विधानसभाओं में से 3 विधानसभा नारनौल के क्षेत्र में आती है। यहां मेडिकल कालेज का बनना, कोरिडोर का बनना तथा चारों दिशाओं में नेशनल हाइवे रोड का बनना मुगलकालीन मकबरों की उपस्थिति पर्यटन केंद्र को बढ़ावा देती है, इसीलिए नारनौल हर दृष्टि से जिला मुख्यालय  की अपनी पहचान रखता है। इसलिए सरकार को जिला का नाम ही नारनौल रख देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अभी हाल में ही सरकार ने जो पत्र भेजकर जिला अधिकारियों को हर मंगलवार महेंद्रगढ बैठने के आदेश दिए हैं, उन आदेशों को तुरंत प्रभाव से निरस्त किया जाये। बैठक में यह भी कहा गया कि नारनौल के जिला मुख्यालय के अधिकारियों को अन्य जगह बैठाने के आदेश किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बैठक में कहा गया कि जिला की चार विधानसभाओं में से तीन विधानसभा नारनौल के तहत आती है। तीनों में सत्ता पक्ष के विधायक एवं मंत्री है, लेकिन चिंता का विषय है कि इसके बावजूद भी एक हारा हुआ नेता तीन विधायकों एंव मंत्री पर भारी पड़ रहा है। सरकार और विधायकों के लिए भी सोचने वाली बात है। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि नारनौल से 30 किलोमीटर दूर अंतिम छोर पर राजस्थान की सीमा पर बसे नारनौल के गांव रायमलिकपुर तक की पंचायतों से संपर्क करके इस आंदोलन को तेज गति प्रदान करने का खाका भी तैयार किया जाएगा। बैठक के अंत में सैनी सभा के प्रधान भगवानदास सैनी ने सभी समाज से आए प्रतिनिधियों का धन्यवाद आभार जताया। बैठक में गौड़ सभा के प्रधान एडवोकेट राकेश महता, यादव कल्याण सभा के कार्यकारी प्रधान अशोक यादव सचिव कंवर सिंह यादव, बाल्मीकि समाज के प्रधान जोगेंद्र जैदिया, खटीक सभा के नरसिंह दायमा, कुम्हार समाज से रोहताश सिंह, कोहली समाज से प्रवीन कोहली, धानक समाज से भागीरथ खनगवाल, नामदेव समाज से हरद्वारी लाल, सैन समाज से बनवारी लाल, अग्रवाल समाज से किशन चौधरी, अनुसूचित जाति संघर्ष समिति से बिरदीचंद गौठवाल, जनकल्याण समिति से सांवत यादव, सैनी सभा के पूर्व प्रधान बिशनदयाल सैनी बालकिशन सैनी आदि विभिन्न समाज के प्रधान एवं प्रतिनिधियों ने भाग लेकर बैठक को संबोधित किया तथा जिला का नाम नारनौल ना होने तक संघर्ष जारी रखने का ऐलान किया।

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