–विशेषज्ञों ने शिक्षा नीति के व्यावहारिक पक्षों से कराया अवगत
स्वतंत्र भारत की आवश्यकताओं व अपेक्षाओं को पूर्ण करने के उद्देश्य से तैयार नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 के सफलतम क्रियान्वयन को ध्यान में रखते हुए हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् (एआईसीटीई), नई दिल्ली के सहयोग से गुरुवार को एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. आर.सी.कुहाड़ ने संदेश के माध्यम से इस वेबिनार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सफलतम क्रियान्वयन में उपयोगी करार देते हुए कहा कि अवश्य ही इस आयोजन के माध्यम से विद्यार्थियों, शिक्षकों व शोद्यार्थियों को नई शिक्षा नीति के उन महत्वपूर्ण पक्षों को जानने समझने का अवसर प्राप्त हुआ होगा जिनके माध्यम से भारत एक बार फिर से अपनी वहीं पुरातन विश्व गुरु की पहचान को प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर होगा। विश्वविद्यालय के कुलपति अपने संदेश में यह भी बताया कि हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय देश का पहला ऐसा विश्वविद्यालय है जिसने सर्वप्रथम नई शिक्षा नीति को लागू करने की कार्य योजना बनायी है और शैक्षणिक परिषद ने इसे बीती 23 अप्रैल, 2021 को संपन्न हुई बैठक में इसको सर्वसम्मति से स्वीकारोक्ति दे दी है। कुलपति का कहना है कि नई शिक्षा नीति के लागू होने से शिक्षा, शिक्षक केंद्रित न होकर विद्यार्थी केंद्रित होगी। शिक्षा में रटने के बजाय, अवधारणात्मक समझ पर जोर दिया जाएगा। विद्यार्थी को विषय वस्तु, उसके परिणाम, उसकी सीमाएं, प्राप्त उपाधि का उपयोग, बिल्कुल स्पष्ट होगा। शिक्षा का यह स्वरूप प्राचीन भारत में नालंदा, तक्षशिला के समय में देखने को मिलता था जिसे हम अवश्य ही पुनः प्राप्त करेंगे। विश्वविद्यालय स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के प्रयासों से राष्ट्रीय शिक्षा नीति का क्रियान्वयन विषय पर केंद्रित इस एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार को अकिल बुसराई कंसल्टिंग,गुरूग्राम के सीईओ डॉ. अकिल बुसराई, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नीकल टीचर्स ट्रेनिंग एंड रिसर्च (एनआईटीटीटीआर), चंडीगढ़ के निदेशक प्रो.एसएस पटनायक, एनआईटी, कुरूक्षेत्र के अधिष्ठाता प्रोफेसर सथांश और मालवीय नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी जयपुर के पूर्व डीन, प्रो दिलीप शर्मा ने संबोधित किया। डॉ. अकिल बुसराई ने अपने संबोधन में इंडस्ट्री व शिक्षण संस्थानों के बीच आपसी तालमेल पर जोर दिया और बताया कि किस तरह से नई शिक्षा नीति में इस दिशा में सकात्मक बदलावों को लागू किया जा रहा है। उन्होंने अपने संबोधन में इस दिशा में आवश्यक व्यावहारिक पक्षों पर भी विस्तार से चर्चा की और स्पष्ट किया कि कौशल विकास के माध्यम से किस तरह से हम शिक्षा व इंडस्ट्री की आवश्यकताओं के अनुरूप मानव संसाधन को तैयार कर सकते हैं। इसी तरह प्रो.एसएस पटनायक डिजीटल लर्निंग के पक्ष पर प्रकाश डाला और कि नई शिक्षा नीति के अंतर्गत किस तरह से इस आधुनिक अध्ययन तकनीक का शिक्षक उपयोग कर उल्लेखनीय परिणामों को प्राप्त कर सकते हैं। प्रो. सथांश ने अपने संबोधन में स्किल एजुकेशन: इनसाइट फोरम एनईपी विषय पर विचार व्यक्त किए। उन्होंने विद्यार्थियों के कौशल विकास से संबंधित पक्ष पर प्रकाश डाला और इसे विद्यार्थियों के सर्वार्गींण विकास के उपयोगी बताया।
कार्यक्रम की शुरूआत विश्वविद्यालय के कुलगीत के साथ हुई। इसके पश्चात अधिष्ठाता, स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी व वेबिनार के कनविनर डॉ. अजय बसंल ने स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विभिन्न उल्लेखनीय पक्षों पर प्रकाश डाला। विश्वविद्यालय के शैक्षणिक अधिष्ठाता प्रो.संजीव कुमार ने भी नई शिक्षा नीति में विद्यार्थियों के समग्र सर्वार्गींण विकास से संबंधित पक्षों को प्रतिभागियों के समक्ष प्रस्तुत किया और बताया कि किस तरह से यह नीति अपनी ही भाषा में अध्ययन, अनुसंधान के साथ-साथ कौशल विकास का मार्ग प्रशस्त करती है। एक दिवसीय इस राष्ट्रीय वेबिनार का संचालन आयोजन सचिव डॉ. पिंकी अरोड़ा ने किया जबकि इस आयोजन में स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी की डॉ. कल्पना चौहान व सुश्री प्रीति ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आयोजन में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों विभागाध्यक्ष, प्रभारी, शिक्षक, शोद्यार्थी, विद्यार्थी, अधिकारी व शिक्षणेत्तर कर्मचारी शामिल हुए।