हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेंवि), महेंद्रगढ़ के जैवरसायन विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. नीलम सांगवान को वर्ष 2021 के प्रतिष्ठित नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज, इंडिया (एनएएसआई) का फेलो चुना गया है। प्रो. सांगवान को यह उपलब्धि औषधीय एवं सुगंध के पौधों पर उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए हासिल हुई है। इन विषयों पर आधारित उनके कई पेपर अंतर्राष्ट्रीय पब्लिकेशन में प्रकाशित हो चुके हैं और इन पौधों पर शोध के आधार पर पेटेंट भी प्राप्त किया है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.सी. कुहाड़ (पूर्व फेलो, नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज, इंडिया) ने प्रो. नीलम सांगवान की इस उपलब्धि पर खुशी व्यक्त करते हुए उन्हें बधाई दी।
प्रो. नीलम सांगवान ने बताया कि उनका शोध अश्वगंधा, ब्राह्मी, और तुलसी जैसे पारम्परिक पौधों पर केंद्रित है। औषधीय पौधों से प्राकृतिक मेटाबोलिट्स से बायोएक्टिव उत्पादन होता है जो कई औषधीय/हर्बल तैयारी द्वारा उनके चिकित्सीय प्रभावों के लिए अत्यधिक वांछित हैं। उन्होंने कहा कि उनका शोध का उद्देश्य एनजीएस, कार्यात्मक जीनोमिक्स, जैव-प्रौद्योगिकीय सुधार और मेटाबोलिट्स इंजीनियरिंग जैसी आधुनिक तकनीकों के माध्यम से बेहतर और उच्च औषधीय और सुगंध सामग्री वाले पौधों को बेहतर बनाने में सहायक है।
बता दें कि अनुसंधान के साथ-साथ प्रो. नीलम सांगवान विभिन्न अकादमियों के सोशल आउटरीच कार्यक्रमों, जो विज्ञान के माध्यम से बच्चों और महिलाओं के लिए उपयोगी, के साथ भी जुड़ी हुई हैं। है। उन्हें पहले भी राष्ट्रीय विज्ञान अकादमियों द्वारा पुरस्कार और उपलब्धियों से सम्मानित किया जा चुका है। नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज, भारत देश का सबसे पुराना विज्ञान अकादमी है, जिसकी स्थापना 1930 में प्रो. मेघनाद साहा (संस्थापक अध्यक्ष) के नेतृत्व में विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिकों ने की थी। नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज, भारत तीन प्रतिष्ठित राष्ट्रीय विज्ञान अकादमियों में से एक है, यह डीएसआईआर, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है।