भाजपा संगठन की मजबूती के लिए धनखड़ ने बनाई 60 प्लस 40 की वैक्सीन ताकि आक्सीजन की जरूरत ना पड़े
रणघोष खास. सुभाष चौधरी
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ संगठन में प्रबंधक के तौर पर सबसे मजबूत नेता माने जाते हैं। मंगलवार को उन्होंने अपनी जिस नई टीम का ऐलान किया है उसमें 60 प्रतिशत जमीनी स्तर के नेताओं को जिम्मेदारी मिली है और बाकी को उनके कामकाज के हिसाब से लिया गया है। जातिगत समीकरण का पूरा संतुलन बनाया है। हालांकि पार्टी के कुछ सीनियर नेता विधायक- मंत्रियों को संगठन में शामिल किए जाने के पक्ष में नहीं थे। उनका मानना था कि पार्टी का परिवार इतना विराट हो चुका है कि एक को एक ही जिम्मेदारी मिले तो सही संदेश जाता है। मौजूदा हालात को देखते हुए भविष्य में पार्टी को मिलने वाली चुनौतियां बहुत बड़ी है। किसान आंदोलन पहले ही गले की फांस बन चुका है। कोविड-19 के हमलों का मुकाबला करने में सरकार हर मोर्चे पर फेल होती नजर आ रही हैं। यह बताने की जरूरत नहीं है। ऐसी स्थिति में कार्यकर्ताओं में मनोबल किसी हालत में कमजोर नहीं हो। धनखड़ ने जमीनी स्तर के पुराने दिग्गजों को प्रयोग के तौर पर जिम्मेदारी दी है। पूर्व डिप्टी स्पीकर संतोष यादव, पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर, सांसद सुनीता दुग्गल , विधायक महिपाल ढांडा, ठाकुर विक्रम सिंह, पूर्व मंत्री कविता जैन और पूर्व चेयरमैन जीएल शर्मा ऐसे चेहरे हैं जो जातिगत समीकरण के साथ साथ जमीनी स्तर पर भी अपनी अच्छी खासी पकड़ रखते हैं। पुराने संगठन के कार्यकर्ताओं को आगे लाने की परंपरा में इस बार एडवोकेट वेदपाल, विधायक मोहनलाल बडोली और पवन सैनी को हरियाणा प्रदेश महामंत्री की जिम्मेदारी मिली है। सबसे बड़ा चौंकाने वाला निर्णय सुमित्रा चौहान को भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष बनाकर किया गया। सुमित्रा चौहान कांग्रेस में भी कई सालों तक महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाल चुकी है। जाहिर है हर जिले में आज भी सुमित्रा चौहान की अपनी सक्रिय टीम है। भाजपा को जातिगत के हिसाब से मजबूत चेहरा भी चाहिए था। सुमित्रा बेबाक और कुशल वक्ता के तौर पर जानी जाती है। 7 प्रदेश मंत्री के तौर पर जिन्हें चुना गया है उसमें भी जातिगत संतुलन पर पूरा फोकस किया है। पटौदी से वर्तमान विधायक सत्य प्रकाश जरावता, रेनू भाटिया, रविंद्र बलियाना, समय सिंह भाटी, मनीष मित्तल, सरोज सिहाग और सुरेंद्र आर्य को यह जिम्मेदारी मिली है। पलवल से विधायक दीपक मंगला को कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी मिलना हैरान करने वाली बात नहीं है। संगठन में अनुभवी होने के तौर पर हिसाब- किताब रखने में वे माहिर रहे हैं। गुलशन भाटिया कार्यालय सचिव, सह कार्यलय सचिव कमल अवस्थी नियुक्त किए गए है। कुल मिलाकर ओमप्रकाश धनखड़ यह बेहतर ढंग से जानते हैं कि प्रदेश में राजनीति का मिजाज तेजी से बदल रहा है। पार्टी में किसी सूरत में आक्सीजन की कमी नहीं रहनी चाहिए। इसलिए फील्ड में जब पसीना बहाना पड़े तो इधर उधर की मारामारी नहीं करनी पड़े। इसलिए टीम में 60 प्रतिशत जमीनी नेताओं को लिया ताकि समय पर सबकुछ पहले से तैयार रहे। कार्यकर्ताओं को सक्रियता और जोश की खुराक लगातार मिलती रहे। इसके लिए 40 फीसदी संगठन में अपनी जिंदगी गुजार चुके पुराने भरोसेमंद कार्यकर्ताओं को फ्रंट पर रखा गया है। कुल मिलाकर 60 प्लस 40 का गणित ही ओमप्रकाश धनखड़ के लिए पार्टी को मजबूत रखने की सबसे बड़ी वैक्सीन है। इसका क्या असर रहेगा। यह आने वाला समय बताएगा।