हरियाणा में किसान आंदोलन के बीच जहां जजपा बेहद दबाव में है।और गठबंधन की सरकार पर भी खतरे की तलवार लटकी हुई है। वही जेजेपी से रुष्ट होकर किसान आंदोलन की आड़ में दबाव बना रहे कुछ विधायकों में से मंत्रिमंडल के विस्तार की चर्चा की जा रही है ।हरियाणा में मंत्रियों की संख्या के हिसाब से एक जेजेपी और एक भाजपा के तरफ से मंत्री बनने की जगह है। ऐसे में एक राज्य मंत्री के पर कतरे जाने की भी चर्चाएं हैं ।वही राजनीति से जुड़े सूत्रों का मानना है कि जिस तरह से जेजेपी में किसान आंदोलन के नाम पर विधायक विरोध जता रहे हैं, उसको देखकर कहा जा सकता है कि इन्हें मनाकर रखने के लिए मंत्रिमंडल की कुछ श्रेणियां इन्हें दी जा सकती हैं। हरियाणा में भाजपा जजपा गठबंधन की कैबिनेट के विस्तार की संभावना हो गई है। दोनों पार्टियों की तऱफ से इसको लेकर लॉबिंग शुरु हो गई है। मंत्री पद को लेकर नेताओं के बीच आपसी बातचीत बढ़ गई है वहीं जजपा की तरफ से भी एक मंत्री बनना है । हरियाणा में पिछले काफी समय से मंत्रीमंडल विस्तार की संभावनाएं है लेकिन कभी कोई वजह तो कभी कोई वजह होने के चलते यह मामला आगे टलता जा रहा है। इससे पहले बरोदा उपचुनाव और अब किसान आंदोलन के चलते मंत्रीमंडल विस्तार नहीं हो पा रहा है, ऐसे में अब किसान आंदोलन के बाद मंत्रीमंडल में विस्तार होना तय है। भाजपा–जजपा गठबंधन सरकार की नई टीम को लेकर संभावनाएं तलाशी जा रही है, वहीं मंत्री पद की दौड़ में शामिल नेताओं ने लॉबिंग शुरु कर दी है। नेताओं की तरफ से अपने वरिष्ठ नेताओं के आसपास देखा जा रहा है , वहीं निर्दलीय विधायक भी मंत्री पद के लिए जबरदस्त लॉबिंग में लगे हुए हैं। मनोहर सरकार के मंत्रीमंडल विस्तार में भाजपा की सहयोगी पार्टी जननायक जनता पार्टी के कोटे से एक मंत्री शामिल किया जाना है वहीं भाजपा के कोटे से भी एक मंत्री शामिल होना है। अब किसान आंदोलन के चलते मंत्रीमंडल विस्तार में देरी हो रही है। हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा में 14 मंत्री बन सकते हैं। इस समय मुख्यमंत्री मनोहर लाल समेत 12 मंत्री हैं। यानी एक मंत्री भाजपा व एक मंत्री जजपा के कोटे से बनना है। वहीं मंत्रीमडंल से दो राज्यमंत्रियों की छुट्टी हो सकती है।हरियाणा के एक कैबिनेट मंत्री पर भी तलवार लटकी नजर आ रही है। दक्षिण हरियाणा के नांगल चौधरी से भाजपा विधायक डा. अभय सिंह यादव को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की चर्चा है। निर्दलीय विधायकों में से एक विधायक को मंत्रिमंडल में शामिल करने की संभावना बताई जा रही है। कुछ भाजपा विधायक मंत्रिमंडल में शामिल होने को मुख्यमंत्री मनोहर लाल का भरोसा जीतने की पुरजोर कोशिश में हैं। जजपा कोटे से गुहला चीका के विधायक चौधरी ईश्वर सिंह अथवा टोहाना के विधायक देवेंद्र सिंह बबली को मंत्री बनाया जा सकता है। नारनौंद के विधायक रामकुमार गौतम पर बगावत की मुहर लग चुकी है। लिहाजा पार्टी अब उन्हें गंभीरता से नहीं लेती है। इसलिए जजपा विधायक भी मंत्री बनने की चाह में ज्यादा उछल–कूद मचाने की स्थिति में नहीं हैं। दूसरी ओर, हरियाणा भाजपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने प्रदेश की टीम बनाने का काम पूरा कर लिया है। प्रदेश की टीम में शामिल सभी पदाधिकारियों के नामों पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल, नए प्रभारी विनोद तावड़े तथा सह प्रभारी अन्नपूर्णा देवी के साथ बातचीत हो गई है। कुछ नामों में संशोधन के साथ फाइनल सूची भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व के पास भेज दी गई है, मगर इस सूची पर अभी कोई विचार नहीं किया जा रहा है। भाजपा नेतृत्व का कहना है कि किसान आंदोलन खत्म होने के बाद ही प्रदेश की नई टीम की घोषणा की जाएगी। तब तक पार्टी के मौजूदा पदाधिकारियों, मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और प्रमुख कार्यकर्ताओं को किसान आंदोलन की आड़ में चमकाई जा रही विरोधी दलों की राजनीति को बेनकाब किया जाए। भाजपा की बैठकों में कांग्रेस के विरोध की कार्ययोजना तैयार की जा चुकी है। हाल ही में हुई मंत्री समूह की बैठक में सभी मंत्रियों स. कहा गया कि वे लोगों को इस बात की जानकारी दें कि तीनों कृषि कानून का प्रारूप कांग्रेस के कार्यकाल में उस समय तैयार किया गया था, जब भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्रियों के कार्य समूह के अध्यक्ष थे और उनके नेतृत्व वाले इस समूह ने तत्कालीन प्रधानमंत्री स. मनमोहन सिंह को सौंपी अपनी रिपोर्ट में खुले बाजारों की व्यवस्था की पेशकश की थी। भाजपा ने अपने सहयोगी दल जजपा को भी फील्ड में किसानों को समझाने के लिए प्रेरित किया है। इसके बाद डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने स्वयं मोर्चा संभाल लिया और केंद्रीय मंत्रियों नरेंद्र सिंह तोमर व राजनाथ सिंह से मुलाकात कर किसानों तथा पार्टी कार्यकर्ताओं में सकारात्मक संदेश देने की कोशिश की है।