हरियाणा राजपूत समाज का सरकार में भागीदारी को लेकर ज्ञापन भेजा

हरियाणा राजपूत प्रतिनिधि सभा ने मुख्यमंत्री मनोहरलाल को ज्ञापन भेजा है। जिसमें राजपूत समाज की राजनीति में अह्म भूमिका का विवरण करते हुए तर्कसंगत ढंग से सरकार में भागेदारी की तरफ ध्यान दिलाया है। सभा की तरफ से भेजे गए ज्ञापन के बारे में एडवोकेट नरेश चौहान ने जानकारी देते हुए बताया कि  भाजपा का राजपूत समाज परम्परागत वोटर हरियाणा के गठन काल से चला आता है । जब ग्रामीण पृष्ठ भूमि के लोग पार्टी में ढूंढे से भी नही मिलते थे तब 1967 में कलानौर से ठाकुर नसीब सिंह ने कांग्रेसी दिग्गज चौ रणबीर सिंह हुड़्डा को भारी मतों से हराकर जनसंघ के टिकट पर विधायक बनने का कीर्तिमान स्थापित किया था । अगले ही चुनाव में 1968 में स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर रणधीर सिंह सालवन ने घरोंडा हल्के से जीत दर्ज कर जनसंघ पार्टी का विधानसभा में मान बढ़ाया । 1977 में भिवानी से ठाकुर बीर सिंह,सोहना से कंवर विजयपाल सिंह और घरोंडा से कंवर रामपाल सिंह ने जनता पार्टी की टिकट पर जीत दर्ज की थी । महेन्द्रगढ़ से 1954 में ठाकुर मंगल सिंह ने विधायक बनकर सीट पर समाज की पकड़ का सबूत दिया जो आगे चलकर पार्टी के प्रो रामबिलास शर्मा की अनेक चुनावों में   जीत का मूल मंत्र रहा । 1996 में कंवर सुरजपाल सिंह ने मेवात के ताऊडू हल्के से जीत हांसिल कर पहली बार वहाँ  कमल खिलाने का काम किया ।गठबंधन सहयोगी हविपा की टिकट पर प्रो छत्र सिंह चौहान ने मुढाल से जीत हांसिल की । विपरीत हालात के चलते इन कामयाबियों की बदौलत समाज के चुने हुए विधायकों को मंत्रिमंडल में स्थान मिलता रहा । लेकिन 2000 से लेकर आज तक पार्टी चुनाव चिन्ह पर जीत के बावजूद राजपूत समाज के किसी भी विधायक को मंत्रीमंडल में स्थान नहीं मिल पाया है । एक सोची समझी राजनीतिक चाल के तहत राजपूत आबादी के गाँवों को अलग अलग हलकों में बेतरतीब ढंग से बांट दिया है जहाँ ऐसा सम्भव नहीं हो पाया उन हलकों को आरक्षित कर दिया ताकि प्रदेश के हर जिला में 650 से भी अधिक गांवों, बस्ती,शहरों में रह रहे कुल आबादी का 8%से10%आबादी वाले राजपूत समाज को सरकार में उसके उचित प्रतिनिधित्व से वँचित रखा जा सके । 1946 से 1952 तक अम्बाला – शिमला सीट पर अविभाजित संयुक्त पंजाब में ठाकुर रत्न सिंह विधायक बने थे लेकिन मुलाना हल्का आजादी के बाद से ही आरक्षित चला आ रहा है जो एक जीता जागता उदाहरण है इस भेदभाव का । बावल , हसनपुर और बवानीखेड़ा भी शुरु से ही आरक्षित चले आ रहे हैं ।सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास को चरितार्थ करने वाला हरियाणा राजपूत समाज  कंवर आर पी सिंह से.नि  आइ. ए. एस व पुर्व सदस्य हरियाणा लोक सेवा आयोग जो हरियाणा राजपूत समाज के मुख्य संरक्षक हैं के नेतृत्व में अपने लम्बे समय से नजरअंदाज किए जा रहे सरकारी प्रतिनिधित्व की बहाली हेतु निम्न बिंदुओं पर सकारात्मक कार्यवाही करने का पुरजोर आग्रह करते हैं।

1. हिमाचल प्रदेश व पंजाब की तरह हरियाणा में भी राजपूत कल्याण बोर्ड की स्थापना हो ।    2. प्रदेश के लगभग दो दर्जन सरकारी विश्वविद्यालयों में कुलपति व रजिस्ट्रार पदों पर जाति के उचित प्रतिनिधित्व को मौका दिया जाए ।

3. सरकार के विभिन्न बोर्ड और निगमों में चेयरमैन पदों पर समाज को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाए ।

4. प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर महाराणा प्रताप भवन व राजपूत धर्मशाला के लिए सरकारी रेट पर पर्याप्त भूमि अलॉट की जाए जिससे राष्ट्रवाद की अलख जगाने हेतु संस्कारी शाखाएं और कैरियर उपयोगी कोचिंग कक्षाएं चलाई जा सकें ।

5. पिछले 25 वर्षों से उपेक्षित राजपूत आबादी वाले गांवों में शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार और खेलकूद सुविधाओं का विस्तार किया जाए ।

6. पद्मावत व जोधा अकबर फिल्मों में राजपूत इतिहास और परंपराओं से हुई छेड़छाड़ के विरोध में प्रदेश में हुए प्रदर्शनों के दौरान राजपूत युवकों के खिलाफ बनाए गए झूठे मुकदमे जनहित में वापस लिए जाएं ।

7. आगामी परिसीमन से पूर्व सरकार राजपूत बाहुल्य आबादी वाले हलकों को आरक्षण मुक्त कराने और राजपूत आबादी वाले गांव को एक समूह में तरतीब से हलकों में जोड़ने की कवायद शुरू करें ।

8.हरियाणा लोक सेवा आयोग व कर्मचारी चयन आयोग में राजपूत प्रतिनिधित्व बरकरार रखा जाए ।

9.आने वाले समय में एक राज्य सभा सीट राजपूत समाज को दी जाएे ।

10.पिछले 20 साल से अधिक समय हो गया है हरियाणा सरकार किसी भी राजपूत विधायक को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया । एक राजपूत विधायक को  मंत्री मंडल में शामिल किया जाए ।

11. तरावड़ी और हांसी में चक्रवृति अंतिम हिन्दु सम्राट पृथ्वीराज चौहान के ऐतिहासिक किलों का जीर्णोद्धार और उनकी स्मृति में भव्य समारक बनवाए जाएं ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

%d bloggers like this: