हिमाचल: कांग्रेस और बीजेपी के लिए मुसीबत बने बगावती नेता

रणघोष अपडेट. शिमला 

हिमाचल प्रदेश में चुनाव की तारीखों के एलान के बाद इन दिनों नामांकन की प्रक्रिया चल रही है। राज्य के दो बड़े दल बीजेपी और कांग्रेस असंतुष्ट नेताओं को मनाने में जुटे हैं। दोनों राजनीतिक दलों को इस बात का डर है कि टिकट मिलने से वंचित रह गए नेता अगर चुनाव मैदान में उतर गए तो उनकी हार की स्क्रिप्ट लिख सकते हैं। हिमाचल में 12 नवंबर को वोटिंग होगी और 8 दिसंबर को मतगणना होगी। प्रदेश में 25 अक्टूबर तक नामांकन भरे जा सकेंगे। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में हिमाचल प्रदेश में बीजेपी को 44 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। जबकि कांग्रेस को 21 सीटों पर जीत मिली थी। लेकिन बीते साल 3 विधानसभा सीटों और एक लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी।

नेताओं को मना रहे जयराम

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर शुक्रवार देर रात तक डैमेज कंट्रोल में जुटे रहे। उन्होंने चुनाव लड़ने को तैयार बैठे कई नेताओं से फोन पर बातचीत की और उन्हें चुनाव मैदान में न उतरने के लिए कहा। हालांकि जयराम ठाकुर से बातचीत होने के बाद भी नालागढ़ से पूर्व विधायक केएल ठाकुर ने कहा है कि वह चुनाव जरूर लड़ेंगे।

कांगड़ा जिले में नाराजगी ज्यादा

कांगड़ा जिले में बीजेपी और कांग्रेस दोनों को ही अपने बगावती नेताओं को मनाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। फतेहपुर सीट से कृपाल परमार और इंदौरा सीट से पूर्व विधायक मनोहर धीमान ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। धर्मशाला सीट पर बीजेपी से राकेश चौधरी को टिकट दिए जाने का विरोध हो रहा है और ऐसा ही विरोध जवाली सीट पर भी देखने को मिल रहा है। इसी तरह कुल्लू सदर सीट से टिकट न मिलने से नाराज बीजेपी के नेता राम सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का एलान किया है।

कांग्रेस में भी है लड़ाई

स्थानीय खबरों के मुताबिक, करसोग सीट से महेश राज को कांग्रेस का टिकट न मिलने पर एनएसयूआई के कई नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है। बल्ह विधानसभा सीट पर पूर्व मंत्री चौधरी पीरु राम के परिवार ने कहा है कि वह बीजेपी का समर्थन करेंगे। चिंतपूर्णी सीट पर भी नाराजगी दिख रही है और यहां के नेताओं ने पूर्व मंत्री कुलदीप कुमार को टिकट देने की मांग की है।

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