हिमालय ग्लेशियर पिघले तो क्या होगा, क्या कहती है संसदीय रिपोर्ट

रणघोष अपडेट. देशभर से 

जल संसाधन पर संसदीय स्थायी समिति ने लोकसभा में पेश की गई कार्रवाई रिपोर्ट में कहा कि हिमालय ग्लेशियरों के पिघलने के पीछे ब्लैक कार्बन को एक प्रमुख कारण बताया गया है, लेकिन केंद्र सरकार ने ग्लेशियरों के अनुमानित नुकसान पर कोई शोध नहीं किया है। न ही निकट भविष्य में इसके नुकसान का अनुमान लगाया गया जो ग्लेशियरों के लिए महत्वपूर्ण था।संसदीय रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने हिमालय ग्लेशियरों के गर्म होने पर कोई अध्ययन नहीं किया है। इसके अलावा, हिमालय के उन हिस्सों पर भी कोई विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं है जहां ग्लेशियरों के पिघलने और इसके परिणामस्वरूप ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (जीएलओएफ) का खतरा सबसे गंभीर बना हुआ है। भूस्खलन और हिमनदी झील के फटने की घटनाओं के मद्देनजर, इसने सिफारिश की है कि सरकार को विशेष रूप से उन क्षेत्रों में भूमि नियम बनाना चाहिए जो प्राकृतिक आपदाओं से ग्रस्त हैं।

क्लाइमेट चेंज और ग्लेशियर के पिघलने से क्या होगा

  • क्या आपने अभी-अभी इस बात का नोटिस लिया कि दिसंबर में पूरा चेन्नई शहर बारिश बारिश के पानी में डूबा हुआ है।
  • हाल ही में उत्तरकाशी में अचानक भूस्खलन से सिलक्यारा सुरंग बैठ गई, जिसमें 41 मजदूर फंस गए जिन्हें 17 दिनों बाद मुश्किल से निकाला जा सका। हिमालय राज्य उत्तराखंड में ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट के तहत सुरंगा का जाल बिछा हुआ है। पिछले दिनों जोशीमठ में मकानों में दरारें पड़ गई थीं।
  • जुलाई-अगस्त में भारी बारिश ने हिमाचल और उत्तराखंड में भारी बारिश ने तबाही मचा दी थी। हिमाचल में सैकड़ों मकान गिर गए। मंदिर ढह गए। दोनों राज्यों में 150 से ज्यादा मौतें हुईं। हिमाचल उस तबाही से आज भी नहीं उबरा है।
  • क्या आपने यह खबर पढ़ी थी कि तूफान बिपरजॉय ने गुजरात में क्या तबाही अभी हाल ही में मचाई थी। अब मिचौंग तूफान तमिलनाडु, उड़ीसा में तबाही मचा रहा है। 
  • क्या आपको 4 अक्टूबर की वो घटना याद है जब उत्तरी सिक्किम में ग्लेशियर झील फटी और अचानक घाटी में बाढ़ आ गई। सेना के 23 जवान बह गए। चीन के मद्देनजर एनएच 10 को बंद करना पड़ा, सैकड़ों पर्यटक काफी दिनों तक सिक्किम में फंसे रहे। 

क्या आपने मौसम विभाग के इस बयान पर गौर किया उत्तर भारत के कृषि उत्पादक राज्यों में यूपी, बिहार, एमपी में इस बार औसत से कम बारिश हुई।  इन घटनाओं को याद दिलाने का अर्थ यही है कि ये सारी आपदाएं ग्लेशियर पिघलने और उससे जलवायु परिवर्तन की वजह से हुईं। लेकिन फिर भी वैज्ञानिक कारण भी बताना जरूरी है। सभी वैज्ञानिक इस बात पर एक राय रखते हैं कि भारत में जलवायु परिवर्तन की बड़ी वजह हिमालय के ग्लेशियर का पिघलना है। उनका कहना है कि ग्लेशियर के पिघलने से अचानक बाढ़, भूस्खलन, मिट्टी का कटाव और हिमनद झील विस्फोट (जीएलओएफ) होता है। आसान भाषा में इस बादल का फटना या क्लाउड बर्स्ट भी कहते हैं। इस वजह से मामूली समय में ही पिघले पानी की अधिक मात्रा नीचे की ओर जाती है। लेकिन लंबे समय में, पानी की उपलब्धता कम होने से पानी की कमी बढ़ जाएगी।

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