राष्ट्रीय अग्रसर हिंदी साहित्य मंच इकाई छत्तीसगढ़ के तत्वावधान में 25 मार्च को सांय 5 बजे होली के शुभ अवसर पर विराट ऑनलाईन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें देश के विभिन्न राज्यों के साहित्यकारों ने भाग लिया और होली पर सुंदर सुंदर रचनाएँ सुनाई। कवि सम्मेलन का मंच संचालन अग्रसर हिंदी साहित्य छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष परमानन्द निषाद के किया। हरियाणा के नारनौल से साहित्यकार भूपसिंह भारती ने कवि सम्मेलन में भाग लिया और अपनी रचना “होली में अबकी बार, मार ना पिचकारी। कोरोना करता वार, सुणो सभ नरनारी।।” पढ़कर कोरोना से बचने के लिये होली न खेलने की अपील करते हुए होली की शुभकामनाएं प्रेषित की। राजस्थान से संजय सिंह मीणा ने अपनी रचना “होली खेले रे नन्दलाला, प्यार बरसे रंगों में” पढ़कर सुनाई। बिहार से डॉ मीना कुमारी परिहार ने “हेरी सखी होली आई रे मदमस्त, रंग बिरंगे दिखे रे नरनारी” रचना पढ़कर सुनाई।गुरुग्राम से अंजनी शर्मा ने अपनी रचना “दग्ध हृदयो को मुक्ति देने कोई केशव को बुलाओ रे, चलो रे होली जलाओ रे” पढ़कर सुनाई। छत्तीसगढ़ से परमानन्द निषाद ने अपनी रचना “राधा का रंग और कान्हा की पिचकारी, प्यार के रंग से रंग दो दुनिया सारी” पढ़कर सुनाई। राजस्थान से प्रतिभा इंदु ने अपनी रचना “फागुन आया, फागुन आया है। होली का त्योहार संग में लाया है।” पढ़ी। दुर्ग छत्तीसगढ़ से सीता गुप्ता ने अपनी रचना “हे रामा खेले खेले आज जमुन तट मुरारी खेले रे होली” पढ़कर सुनाई। गुजरात से गुलाब चंद पटेल ने “आया फागुन आई होली” रचना पढ़कर सुनाई। मुम्बई से सुखमिला अग्रवाल ने अपनी रचना “फागुन की रुत आई मितवा,मस्ती दिलों में छा गई” सुनाई। दिल्ली से नेहा जग्गी, बेंगलुरु से वंशिका अल्पना दुबे और बरेली से गीतांजलि वार्ष्णेय सूर्यान्जली ने भी होली पर अपनी रचनाएँ पटल पर पढ़कर सुनाई। अग्रसर हिंदी साहित्य छत्तीसगढ़ के मंच पर देशभर से कवियों ने होली पर शानदार रचनाएँ प्रस्तुत कर प्राचीन भारतीय संस्कृति के दिग्दर्शन कराए। अग्रसर हिंदी साहित्य छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष परमानन्द निषाद ने सभी साहित्यकारों का कवि सम्मेलन को सफल बनाने के लिये हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए सभी को होली की शुभकामनाएं दी।
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