रणघोष अपडेट. देशभर से
अंडमान और निकोबार के पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण और श्रम आयुक्त आरएल ऋषि के खिलाफ लगे सामूहिक बलात्कार के आरोपों के मामले में जांच कर रही एसआईटी को हैरान करने वाली जानकारी मिली है। द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, एसआईटी को जांच में पता चला है कि पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण के पोर्ट ब्लेयर स्थित सरकारी आवास पर 20 से ज्यादा महिलाओं को लाया गया था। इनमें से कुछ महिलाओं ने आरोप लगाया है कि नौकरी देने का लालच देकर उनका यौन शोषण किया गया। एसआईटी को इस मामले में कुछ अहम सुबूत मिले हैं और उसने कई गवाहों के बयान भी दर्ज किए हैं। हैरानी की बात यह भी है कि अंडमान और निकोबार में जितेंद्र नारायण का कार्यकाल एक साल का ही रहा था। जितेंद्र नारायण 1990 बैच के आईएएस अफसर हैं और इस साल जुलाई तक वह अंडमान और निकोबार में मुख्य सचिव के पद पर तैनात थे। नारायण वर्तमान में दिल्ली वित्तीय निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हैं।
क्या है मामला?
21 साल की एक युवती ने पोर्ट ब्लेयर में स्थित जितेंद्र नारायण के सरकारी आवास में उसके साथ हुए यौन शोषण और बलात्कार के बारे में पुलिस को शिकायत दी थी। युवती के साथ यह घटना इस साल अप्रैल और मई के महीने में हुई थी। युवती ने अपनी शिकायत में कहा था कि वह नौकरी की तलाश में थी और इस दौरान एक होटल व्यवसायी रिंकू ने उसकी मुलाकात श्रम आयुक्त आरएल ऋषि से कराई थी। श्रम आयुक्त उसे मुख्य सचिव के सरकारी आवास पर ले गए थे।युवती ने शिकायत में कहा था कि वहां उससे शराब पीने के लिए कहा गया लेकिन उसने इससे इंकार कर दिया। उससे वादा किया गया कि उसे सरकारी नौकरी दी जाएगी। शिकायत में युवती ने कहा था कि दोनों अफसरों ने इस दौरान उसका यौन शोषण किया।
युवती ने कहा था कि इस घटना के 2 हफ्ते बाद एक बार फिर उसे जितेंद्र नारायण के सरकारी आवास पर रात को 9 बजे बुलाया गया और फिर से उसका यौन शोषण किया गया। युवती ने कहा था कि उसे धमकी दी गई कि अगर उसने इस बारे में किसी को बताया तो इसका बुरा अंजाम होगा।द इंडियन एक्सप्रेस ने कहा है कि पोर्ट ब्लेयर के पुलिस अफसरों के मुताबिक जितेंद्र नारायण और आरएल ऋषि के कॉल रिकॉर्ड और उनके मोबाइल फोन की लोकेशन और युवती के द्वारा बताया गया घटनाक्रम और लगाए गए आरोप आपस में मेल खाते हैं। एसआईटी ने कहा है कि उसने इस मामले में तमाम सुबूत इकट्ठा कर लिए हैं और वह अगले कुछ हफ्तों में अदालत में चार्जशीट दायर कर देगी। 18 अक्टूबर को अंडमान और निकोबार की पुलिस जितेंद्र नारायण के दिल्ली स्थित आवास पर पहुंची थी और उनसे एसआईटी के सामने पेश होने के लिए कहा था।नारायण को 28 अक्टूबर तक इस मामले में एसआईटी के सामने पेश होना है।
नष्ट किए सुबूत
द इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि तत्कालीन मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण के सरकारी आवास पर लगे सीसीटीवी कैमरों के डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर की हार्ड डिस्क से डाटा मिटा दिया गया और इसके बाद इस साल जुलाई में जब जितेंद्र नारायण का तबादला दिल्ली हो गया तो डीवीआर को भी हटा दिया गया। इस मामले में पीडब्ल्यूडी के एक अफसर और सीसीटीवी एक्सपर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक सुबूतों को खत्म किए जाने की पुष्टि की है।