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नारी तुम केवल श्रद्धा हो’, टूटना तुम्हारी नियति है, मत बहाओ व्यर्थ के आंसू
मैं एक लड़की हूं। टूटना मेरी नियति है। नहीं मानूंगी, तो तोड़ दी जाऊंगी। नहीं, मुझ पर रोना मत। मेरे लिए आंसू व्यर्थ न करना। कभी मैं बेंगलुरू की उस भीड़ में दरिंदों के पंजों से नोची गई। तो तुम रोए। मैं…