रणघोष अपडेट. देशभर से
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को लचित बरफुकन की 400वीं जयंती समारोह को संबोधित करते हुए इतिहास लेखन पर सवाल उठाया। एक दिन पहले ही गृहमंत्री अमित शाह ने ‘तोड़-मरोड़’ कर पेश किए गए इतिहास पर सवाल उठाते हुए कहा था कि हमें फिर से इतिहास लिखने से कौन रोक सकता है। प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को कहा कि वीरता, विजय और बलिदान से समृद्ध भारत का इतिहास होते हुए भी आजादी के बाद जो पढ़ाया जाता है, वह औपनिवेशिक युग में एक साजिश के रूप में लिखा गया इतिहास है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारत का इतिहास गुलामी का नहीं है, लेकिन 1947 के बाद से हमें गुलामी का ही इतिहास पढ़ाया गया।’उन्होंने कहा कि देश के कोने-कोने में वीर बेटे-बेटियों ने अत्याचारियों से लोहा लिया। पीएम ने कहा, हालाँकि इतिहास के इस हिस्से को जानबूझकर दबा दिया गया था। उन्होंने कहा, ‘क्या लचित बरफुकन की वीरता महत्वपूर्ण नहीं है? क्या मुगलों के खिलाफ असम में हजारों लोगों का बलिदान महत्वपूर्ण नहीं है?’
हमें इतिहास लिखने से कोई नहीं रोक सकेगा: शाह
अमित शाह ने कहा है कि उन्हें इतिहास लिखने से कोई नहीं रोक सकेगा। उन्होंने कहा है कि वह ‘तोड़-मरोड़ कर पेश किए गए इतिहास’ को दुरुस्त करेंगे। देश के गृहमंत्री ने कहा है कि वह खुद इतिहास के छात्र रहे हैं और वह सुनते रहे हैं कि इतिहास ग़लत तरीक़े से लिखा गया है। तो सवाल है कि इतिहास लिखेगा कौन? सवाल यह भी है कि अब जो इतिहास लिखा जाएगा उसकी सामग्री क्या होगी? क्या वह सामग्री तैयारी है जिसको लिखा जाना है?इस सवाल का जवाब तो गृहमंत्री अमित शाह ही दे सकते हैं। उन्होंने तो अभी इतना ही कहा है कि इतिहास में ‘विकृतियाँ’ हैं और इससे छुटकारा पाने के लिए इसे फिर से लिखने से कोई नहीं रोक सकता है।