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ईसर और गौरा की कहानी जाने बिना तुम मेरी और बावरी की जीवनकथा नहीं समझ पाओगे
होई जबै द्वै तनहुँ इक अनबीता अतीत (अध्याय 12) रणघोष खास. बाबू गौतम समय बीत जाता है, पर उसका कोई अनबीता टुकड़ा हमारे साथ साथ चलता रहता है। दामन में उलझ कर। एक से आठ गाएँ हो गयी हमारे पास। आते वक़्…