कभी रेलवे स्टेशन पर कूड़ा बीनने को थी मजबूर, आज कैफे का संचालन कर रही हैं ज्योति

रणघोष खास. देशभर से 

कभी रेलवे स्टेशन पर भीख मांगने वाली लड़की आज अपने दम पर सफलता का मुकाम छूने के साथ ही देश की लाखों लड़कियों के लिए प्रेरणाश्रोत बन चुकी है। कठिन बचपन गुजारने के साथ इस लड़की ने कभी हार ना मानते हुए और अपनी परिस्थितियों पर दोष ना मढ़ते हुए अपने लिए एक मुकाम हासिल किया है।19 साल की ज्योति आज पटना में एक कैफे का संचालन कर रही हैं। ज्योति का बचपन बेहद कठिनाइयों के साथ गुज़रा है और उन्हें अब तक यह भी नहीं मालूम है कि उनके असली माता-पिता कौन हैं।ज्योति को पटना रेलवे स्टेशन पर एक भिखारी दंपती ने लावारिस हालात में पाया था। कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए बेहद कम उम्र में ही ज्योति ने उस दंपती के साथ रेलवे स्टेशन पर भीख मांगना शुरू कर दिया था। ज्योति ने मीडिया से बात करते हुए बताया है कि उस दौरान जब भीख मांगने पर भी पैसे नहीं इकट्ठे होते थे तब वे कूड़ा बीनने लगती थीं।

नहीं मानी हार

ज्योति का कहना है कि उनकी इस यात्रा में बहुत से लोगों ने उनका समर्थन भी किया है, जिसके चलते बेहद कठिन दिनों में भी उन्होने अपने हौसला नहीं खोया था।आगे बढ़ते हुए ज्योति के मन में जो एक इच्छा घर कर चुकी थी वह थी शिक्षा ग्रहण करना। वे हर हालात में शिक्षा ग्रहण करना चाहती थीं, जबकि उनका लगभग पूरा बचपन ही बिना शिक्षा ग्रहण किए गुज़र गया था। इस बीच ज्योति ने धीरे-धीरे अपनी पढ़ाई शुरू की, हालांकि इसी दौरान ज्योति के सामने एक बार फिर से कठिन समय आया जब उन्होने अपनी उस माँ को खो दिया जिन्होने उन्हे  पाला था। हालांकि ज्योति ने विषम परिस्थितियों के बावजूद अपनी पढ़ाई को जारी रखा।

इस संस्था ने बदल दी जिंदगी

शिक्षा ग्रहण करने के सपने सपने को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ते हुए ज्योति की मदद को जिला प्रशासन आगे आया और प्रशासन ने एक एनजीओ रैम्बो फाउंडेशन के जरिये ज्योति के जीवन को बेहतर बनाने में सहयोग किया।मीडिया से बात करते हुए रैम्बो फाउंडेशन की अधिकारी विशाखा कुमारी ने बताया है कि आज पटना में ही संस्था के ऐसे पांच केंद्र काम कर रहे हैं, जहां अनाथ बच्चों को आसरे के साथ ही उन्हें उचित शिक्षा उपलब्ध कराई जाती है।इस एनजीओ से मदद मिलने के बाद ज्योति का जीवन पूरी तरह बदल गया और उन्होने आगे बढ़ते हुए मैट्रिक की परीक्षा अच्छे अंकों के साथ पूरी की। इसी के साथ आगे बढ़ते हुए ज्योति ने उपेंद्र महारथी संस्थान से मधुबनी पेंटिंग का भी प्रशिक्षण प्राप्त किया।

मिला कैफे संचालन का काम

ज्योति इससे भी आगे जाना चाहती थीं और उनकी लगन को देखते हुए जल्द ही एक फार्म द्वारा कैफेटेरिया के संचालन का काम मिल गया। आज ज्योति सारा दिन कैफेटेरिया का काम देखती हैं और अपने खाली समय में वे पढ़ाई करती हैं।

फिलहाल किराए के कमरे में रह रहीं ज्योति मार्केटिंग के क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहती हैं और अभी वे ओपेन स्कूल के जरिये अपनी पढ़ाई जारी रखे हुए हैं। ज्योति के संघर्ष की यह कहानी आज देश की उन सभी लड़कियों के लिए प्रेरणाश्रोत है जो कठिन हालातों का सामना करते हुए अपना भविष्य उज्ज्वल बनाने के लिए संघर्ष कर रही हैं।