रणघोष अपडेट. देशभर से
पांच चुनावी राज्यों में कांग्रेस की करारी हार के बाद पार्टी के असंतुष्ट नेताओं के गुट जी-23 की बैठक हुई। यह बैठक वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के आवास पर बुधवार रात को हुई। बैठक में गांधी परिवार के खिलाफ या संगठन के चुनाव को लेकर किसी तरह की बातचीत नहीं हुई। लेकिन इन नेताओं ने मांग की कि कांग्रेस को और सक्रिय होना चाहिए। चुनावी राज्यों में मिली करारी हार के बाद यह तय माना जा रहा था कि इस गुट के नेता पार्टी हाईकमान पर अपने हमले तेज करेंगे और ऐसा ही बीते दिनों में होते हुए दिखाई दिया है।जब इस गुट के नेता कपिल सिब्बल ने गांधी परिवार से हटने और किसी अन्य नेता को मौका देने की बात कही।जी-23 गुट के नेताओं की इस बैठक पर तमाम राजनीतिक विश्लेषकों की नजरें लगी हुई थीं। बैठक के बाद गुट के नेताओं की ओर से जो बयान जारी किया गया है उसमें पांच राज्यों के चुनावी नतीजों और कार्यकर्ताओं-नेताओं के पार्टी को छोड़ने के मुद्दे पर विचार-विमर्श होने की बात कही गई है। बयान में कहा गया है कि कांग्रेस सभी स्तरों पर सामूहिक और समावेशी नेतृत्व और निर्णय लेने के मॉडल को अपनाए। इन नेताओं ने यह भी कहा है कि बीजेपी के खिलाफ लड़ने के लिए यह जरूरी है कि कांग्रेस को मजबूत किया जाए और पार्टी समान विचारधारा वाले दलों के साथ 2024 के चुनाव के लिए एक प्लेटफ़ॉर्म बनाए।जी-23 के नेताओं ने कहा है कि अगले कदम के बारे में एलान जल्द किया जाएगा। बयान पर गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, अखिलेश प्रताप सिंह, संदीप दीक्षित, पीजे कुरियन, कुलदीप शर्मा, विवेक तन्खा, एमए खान, राजिंदर कौर भट्ठल, राज बब्बर और पृथ्वीराज चव्हाण के हस्ताक्षर हैं। इन नेताओं के अलावा मणिशंकर अय्यर, शशि थरूर, परनीत कौर और शंकर सिंह वाघेला भी इस बैठक में शामिल हुए।कपिल सिब्बल के गांधी परिवार को लेकर दिए गए बयान के बाद उन्हें पार्टी के तमाम नेताओं ने जिस तरह जवाब दिया उससे कांग्रेस की कलह एक बार फिर खुलकर सामने आ गई है। चुनावी हार के बाद जब कांग्रेस कार्य समिति की बैठक बुलाई गई थी तो उसमें गांधी परिवार के सभी सदस्यों ने अपने पदों से इस्तीफा देने की बात कही थी हालांकि कार्यसमिति के बाकी सदस्यों ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया। हालांकि जी-23 की बैठक में गांधी परिवार पर कोई बड़ा हमला नहीं किया गया है लेकिन ऐसा नहीं लगता कि इस गुट के नेता शांत बैठेंगे।
कांग्रेस के सामने चुनौती
कांग्रेस को निश्चित रूप से इस गुट के नेताओं को साधना होगा और आने वाले राज्यों के विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करना होगा वरना 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ यूपीए की अगुवाई करने का उसका दावा कमजोर हो जाएगा। उसे विपक्षी नेताओं ममता बनर्जी और केसीआर से भी चुनौती मिल रही है।