अपने असली अंदाज में आ गए पूर्व मंत्री जगदीश यादव, भाजपा डैमेज कंट्रोल करेगी या तमाशा देखेगी
रणघोष खास.कोसली से
रेवाड़ी जिले की कोसली विधानसभा सीट से सबसे ताकतवर जमीनी नेता पूर्व मंत्री जगदीश यादव ठीक दो साल बाद अपने असली अंदाज में आ गए। दो दिन पहले बेरली स्थित पेट्रोल पंप पर 17 नवंबर को अपने जन्मदिन के बहाने उन्होंने सर्मथकों के साथ मिलकर अहीरवाल स्वाभिमान मंच का एलान कर दिया। यह मंच सीधे तौर पर 2024 के विधानसभा चुनाव लड़ने की आधारशिला है।
विधानसभा चुनाव के अभी तीन साल बचे हुए हैं। ऐसे में जगदीश यादव का अचानक नए अंदाज में आना यह साबित करता है कि वे अब आने वाले दिनों में अपनी शर्तों पर राजनीति करेंगे ना कि किसी दल के भरोसे चलेंगे। 2019 के चुनाव में कोसली विधानसभा सीट पर भाजपा की तस्वीर तब तक धुंधली नजर आ रही थी जब तक जगदीश यादव चुनाव नहीं लड़ने का एलान नहीं कर रहे थे। यहां से भाजपा उम्मीदवार लक्ष्मण सिंह यादव पूरी तरह धर्म संकट से गुजर रहे थे। एक तरफ उन्हें केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के विश्वास को बनाए रखना था दूसरी तरफ पार्टी में ही राव के सबसे धुरविरोधी जगदीश यादव को किसी तरह चुनाव नहीं लड़ने के लिए मनाना था। अगर जगदीश यादव निर्दलीय मैदान में उतर जाते तो भाजपा के लिए जीत आसान नहीं होती। इस सीट पर जगदीश यादव आज भी जमीनी स्तर के सबसे बड़े नेता है। वे इस भरोसे में भाजपा में शामिल हुए थे कि उन्हें शीर्ष नेतृत्व से टिकट मिलने का भरोसा मिला था लेकिन राव इंद्रजीत सिंह के दखल के बाद हाईकमान को पीछे हटना पड़ा। दूसरा लक्ष्मण यादव भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता के तौर पर खुद को साबित कर चुके थे। इसलिए इस सीट पर सबसे ज्यादा मतों से जीतने वाले हरियाणा के टॉप विधायकों में सूची में भी शामिल हो गए। जगदीश यादव ने मंच की घोषणा करते हुए शब्दों में जिस लहजों का इस्तेमाल किया उससे साफ जाहिर हो रहा था कि वे अब दबाव की नहीं अपने मिजाज की राजनीति करेंगे। जगदीश यादव की राजनीति पृष्ठभूमि पर जाए तो इस सीट पर निजी तौर से यहां की जनता ने जगदीश यादव को सबसे ज्यादा पसंद किया है। कोसली विधानसभा सीट से वर्ष 1996 में चुनाव लड़कर हरियाणा विकास पार्टी की सरकार में मंत्री रह चुके जगदीश यादव अपने दम पर 2009 एवं 2014 के विधानसभा चुनाव में अच्छे खासे वोट लेकर हरियाणा में सबसे मजबूत जमीनी नेता के तौर पर पहचान बना चुके हैं। उनकी राजनीति हमेशा से ही केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह परिवार के खिलाफत रही है। यही उनकी मजबूत राजनीति का आधार रहा है।
कमजोर प्रबंधन की वजह से संभल नहीं पाए जगदीश यादव
बढ़ती उम्र के बावजूद जगदीश यादव ने क्षेत्र के लोगों से मिलना कम नहीं किया लेकिन उनके पास हमेशा से ही मजबूत प्रबंधन का अभाव रहा। वे जिसे भरोसे में लेकर जनता से मेल झोल बना रहे थे दरअसल वे अंदरखाने अपने निजी एजेंडे को पूरा कर रहे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं की जगदीश यादव से हर कार्यकर्ता फोन से या निजी तौर पर मिलकर सीधे संवाद करें। उसके लिए टीम वर्क काम करती हैं। यहां उनकी टीम कमजोर नजर आईं। पता होते हुए भी उसे दुरुस्त नहीं किया गया। इस टीम में कुछ तो ऐसे हैं जिसके तौर तरीकों ने इस नेता की छवि को बेबस बना दिया। उनके पास ऐसे शुभ चिंतक आज भी मजबूती के साथ टिके हुए है जो अपने नेता की हार में भी आर्थिक तोर पर मजबूत होते चले गए। उनके बेटे गौरव यादव ने काफी हद तक स्थिति को कंट्रोल करने का प्रयास भी किया लेकिन क्रास चैक कर स्थिति को सुधारने की बहुत गुंजाइश है।