सुदीप्तो सेन के निर्देशन वाली फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ पर हाल में काफी विवाद हुआ. अब इसी से मिलते-जुलते मुद्दे पर बनी फिल्म ’72 हूरें’ पर भी विवाद शुरू हो गया है. इस फिल्म का टीज़र रिलीज होते ही सोशल मीडिया पर इसको लेकर घमासान छिड़ गया. खैर फिल्म अपनी जगह है. हूरें वास्तव में क्या होती हैं. ज्यादातर धर्मों में जन्नत और स्वर्ग की कल्पना करते हुए वहां खूबसूरत स्त्रियों की कल्पना की गई है या माना गया है कि वहां ऐसी स्त्रियां हैं, कोई धर्म उन्हें अप्सरा या उर्वसी कहता है तो कहीं उसे हूर कहा गया.
हम ये जानेंगे कि इस्लाम में हूर या हूरी को लेकर क्या मान्यता है. उनके धर्मशास्त्रों कुरान या हदीसों में क्या इसके बारे में कुछ लिखा या कहा गया है. वैसे इस्लाम में ये मान्यता जरूर है कि अगर खुदा की खिदमत में जिंदगी लगा दी जाये और उसी के लिए अपनी जान दे दी जाए तो जन्नत मिलती है. जहां सभी कष्ट खत्म हो जाते हैं और हूर नसीब होती है.
अफगानिस्तान में तालिबान अपने लोगों को ट्रेंड करने और नए लोगों की भर्ती के दौरान अक्सर उन्हें ये प्रलोभन देता था कि अगर वो इस्लाम के इस रास्ते पर चलेंगे तो उन्हें मृत्यु के बाद जन्नत नसीब होगी और वहां हूरें मिलेंगी.
इसी तरह के प्रलोभन मुस्लिम आतंकवादी संगठन नए लोगों को फुसलाने, बरगलाने और जान को जोखिम में डालने वाले काम कराने में देते रहे हैं. कई पकड़े युवा आतंकियों ने पूछताछ में कबूल भी किया कि किस तरह उनके दिमाग को ब्रेनवॉश करने के लिए जन्नत और वहां के सुखों के सपने दिखाए गए.
बेहद सुंदर स्त्रियां
हदीस तिरमिज़ी खंड-2 पृ.(35-40) में दिए गए हूरों के सौंदर्य के बारे में इस तरह कहा गया है –
– उसका रंग सफेद है, और साधारण स्त्रियों की तरह शारीरिक कमियों और विकारों से वो परे होती है.
– प्रत्येक हूर किशोर वय की कन्या होती है. उसके शरीर गठन आकर्षक होता है. हूरें भव्य परिसरों वाले महलों में रहतीं हैं.
– हूर यदि ‘जन्नत’ में अपने आवास से पृथ्वी की ओर देखे तो सारा मार्ग सुगंधित और प्रकाशित हो जाता है.
– हूर का मुख दर्पण से भी अधिक चमकदार होता है. उनके गाल में कोई भी अपना प्रतिबिंब देख सकता है.
उनकी आंखें बहुत खूबसूरत होती हैं
इस्लामिक मान्यताओं में हुर ऐसी स्त्रियां हैं, जिनकी आंखें बहुत खूबसूरत होती हैं, जो उन मुस्लिमों को मिलती हैं, जो खुदा और जन्नत में यकीन रखते हैं. उनके लिए खुद को न्योछावर कर देते हैं. इस तरह का टर्म या बात कम से कम 04 बार कुरान में आई है. इसके बारे में हदीसों में भी काफी कुछ कहा गया है. स्मिथ एंड हेद्दाद ने अपनी किताब “इस्लामिक अंडरस्टैंडिंग” (Smith & Haddad, Islamic Understanding) में हदीसों का अध्ययन करने के बाद हूर के बारे में जो लिखा, उसका निचोड़ ये है
“आमतौर पर कहा जाता है कि वे पैरों से घुटनों तक केसर, घुटनों से छाती तक कस्तूरी, स्तन से गर्दन तक एम्बर और गर्दन से सिर तक कपूर से बनी होती हैं. परंपरावादियों ने उन्हें 70 से 70,000 गाउन पहनने के रूप में वर्णित किया है, जिसके माध्यम से उनके मांस की सुंदरता के कारण उनकी हड्डियों के मज्जा को भी देखा जा सकता है. हूर ना सोती हैं, न गर्भवती होती हैं, न मासिक धर्म से गुजरती है और कभी बीमार भी नहीं होतीं.”
परंपरागत रूप से यह माना जाता रहा है कि हूरी सुंदर महिलाएं होती हैं, जिन्हें विश्वास करने वाले पुरुषों के लिए एक इनाम के रूप में वादा किया जाता है, कई हदीस और कुरान के उद्धरण उनके बारे में कहते हैं. हाल के वर्षों में, हालांकि, कुछ लोगों ने तर्क दिया है कि हूर शब्द शुद्ध पुरुषों और शुद्ध महिलाओं दोनों को संदर्भित करता है (यह मर्दाना और स्त्री दोनों रूपों के लिए बहुवचन शब्द है)
फारस के धर्मग्रंथों और मान्यताओं में स्वर्ग में रहने वाली सुंदर महिलाओं को परी कहकर संबोधित किया गया है. जो मृत्यु के बाद स्वर्ग के पुल पर लेने आती हैं. (wiki commons)
एनीमेरी शिममेल का कहना है कि हूरों के कुरान में वर्णन को प्यार के संदर्भ में देखा जाना चाहिए; ” अल्लाह के आदेश के अनुसार जीने वाला हर पवित्र व्यक्ति स्वर्ग में प्रवेश करेगा जहां दूध और शहद की नदियां ठंडे, सुगंधित उद्यानों में बहती हैं और कुंवारी प्रेमिकाएं उनका इंतजार करती हैं.”
क्या दूसरे धर्मों में भी स्वर्ग में सुंदर स्त्रियों की कल्पना है
हिंदू कथाओं में स्वर्ग लोक में सुंदर अप्सराओं की कल्पनाएं की गई हैं. वो देवलोक की नृत्यांगनायें हैं. इनमें से प्रमुख हैं उर्वशी, रम्भा, मेनका आदि हैं. ऋग्वेद में उर्वशी प्रसिद्ध अप्सरा मानी गई है यूनानी ग्रंथों में अप्सराओं को सामान्यत: ‘निम्फ़’ नाम दिय गया है. ये तरुण, सुंदर, अविवाहित, कमर तक वस्त्र से आच्छादित बताई गई हैं.