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क्या न्याय और अन्याय पर सिर्फ कुछ सेलिब्रिटी संपादकों का हक है?, खुद खींचनी होगी लक्ष्मण रेखा
हम एक ऐसे अनूठे वक्त में रह रहे हैं, जहां तथ्य और कथ्य के बीच के तंतु नदारद हैं। मीडिया में समाचार और कहानी का फर्क गड्ड-मड्ड हो गया है। वह भेड़चाल का हिस्सा बन गया है। इसके कुछ स्वघोषित प्रवक्ताओं…