जमीन अधिग्रहण मुआवजा में बड़ा खुलासा

अधिकारियों ने अपने लालच में सरकार को खराब कर दिया, मंत्री- विधायक- नेता  करेंगे खुलासा


रणघोष अपडेट. हरियाणा. रेवाड़ी. मानेसर


जमीन अधिग्रहण मुआवजा को लेकर सुलग रहे दक्षिण हरियाणा में अधिकारियों ने अपने लालच में राज्य सरकार के मुआवजा मसले पर दोहरा चरित्र सार्वजनिक कर दिया। जिसका खुलासा होने पर अब दक्षिण हरियाणा से भाजपा के जिम्मेदार नेता, विधायक एवं मंत्रियों ने रिपोर्ट तैयार कर हाईकमान को अवगत कराना शुरू कर दिया है। एक तरह मानेसर में किसान कम मुआवजा को लेकर आंदोलन कर रहे हैं तो रेवाड़ी में किसान अधग्रहित जमीन पर बने  भवन क्षतिपूर्ति को लेकर तय किए गए मुआवजा नहीं मिलने को लेकर एक साल से लड़ रहे हैं।  आइए इस खेल को समझते हैं।

 एचएसआईआईडीसी की दादागिरी, जमीन का मुआवजा दे दिया, अवार्ड के बाद भवन का नहीं देंगे

जिला रेवाड़ी में चार साल पहले एमआरटीएस (मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम) योजना के लिए एचएसआईआईडीसी द्वारा अधिग्रहित की गई जमीन के मुआवजा को लेकर हर रोज नया खुलासा सामने आ रहा है। 2020-21 में जिला रेवाड़ी में इस परियोजना के तहत कुल मुआवजा 201 करोड़ 53 लाख 62 हजार 130 रुपए अवार्ड हुआ। जिसमें 120 करोड़ रुपए जमीन अधिग्रहण के नाम पर किसानों को जारी कर दिए। बाकि 81 करोड़, 53 लाख, 62 हजार 130 रुपए की राशि इसी जमीन पर बने भवन की क्षतिपूर्ति के तौर पर 10 सितंबर 2021 को अवार्ड के तौर पर जारी कर दी। कायदे से अवार्ड के 30 दिन के भीतर यह राशि किसानों को मिल जानी चाहिए थी। उसके बाद सरकार सरकार एक निर्धारित ब्याज दर के आधार पर यह राशि देगी। 8 दिन बाद इस मुआवजा राशि को नहीं मिले एक साल हो जाएगा। इसी दौरान किसानों ने जमीन के तौर पर मिले मुआवजा का उपयोग अन्य जमीन खरीदने या व्यवसाय में कर लिया। वे बकाया मुआवजा को लेकर डीआरओ कार्यालय के चक्कर लगाते रहे। समय पर यह राशि नहीं मिलने से किसानों की आर्थिक स्थिति तेजी से बिगड़ती चली गईं। वे अधिग्रहित जमीन का चाहकर भी कुछ बदलाव नहीं कर सकते क्योंकि कागजों में एचएसआईआईडीसी मालिक नजर आ रही है। अगर अपनी जमीन वापस भी लेना चाहे तो उनके पास आई राशि इधर उधर खर्च हो गईं। जिस बकाया मुआवजा राशि के भरोसे उन्होंने अन्य व्यवसाय शुरू कर दिया उसमें वे कर्ज के नीचे आ गए। यानि सरकार ने किसानों को किसी स्थिति लायक नहीं छोड़ा।

 अब अधिकारी सरकार से कह रहे हैं कि इस प्रोजेक्ट में दम नहीं

यहां के जनप्रतिनिधियों ने इस बारे में अधिकारियों से बातचीत की तो उनका कहना है कि इस प्रोजेक्ट में वह उम्म्मीद नजर नहीं आ रही जिसे शुरू किया जा सके। इसलिए जिस किसानों को  जमीन का मुआवजा मिल गया है वह तब तक इसका इस्तेमाल करें जब तक हमें जरूरत नहीं है। उस जमीन पर बने भवन का मुआवजा इसलिए  नहीं मिलेगा क्योंकि जमीन की हमें जरूरत नहीं है। यानि अधिकारियों ने किसानों को ना इधर का छोड़ा और ना उधर का। उल्टा जमीन अधिग्रहण के नाम पर उन्हें बर्बाद करने की स्थिति में पहुंचा दिया। एक जमीन मालिक ने तो सीएम विंडो लगाकर पूछा है कि क्या इसे ही सरकार कहते हैं। जिस जमीन को सरकार ने अधग्रहण किया उस पर बने होटल को उन्होंने किराए पर दिया हुआ था। वह किराएदार खाली का नोटिस दे चुका है। स्कूल हॉस्टल भी अधिग्रहण के चलते बंद करना पड़ा। जमीन के मुआवजा की राशि के बदले अन्य जगह जमीन ले ली चलो भवन की किश्त से परिवार का गुजारा कर लेंगे। उस राशि को लेकर अधिकारी पीछे हट रहे हैं। ऐसे में उनके सामने भूखे मरने की नौबत आ चुकी है।

 भाजपा के नेता, मंत्री व विधायक ने कहा किसानों के साथ सरकार गलत हुआ

राज्य के कैबिनेट मंत्री डॉ. बनवारीलाल ने कहा कि कायदे से जिस जमीन का मुआवजा एचएसआईआईडीसी दे चुकी है उस पर बने भवन का मुआवजा भी करें तभी किसान के साथ न्याय होगा। ऐसे में तो अधिकारी सरकार की छवि को खराब करने का काम करेंगे। इस बारे में उनकी मुख्यमंत्री से बातचीत हो चुकी है। ऐसा अन्याय नहीं होने देंगे। लगातार इस मामले को उठा रहे भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता सत्यवर्त शास्त्री ने कहा कि अधिकारियों की नासमझी ने जनता के सामने सरकारी की अजीब सी छवि पेश कर दी। यह तो किसानों के साथ सरासर  भददा मजाक है। प्रोजेक्ट फाइनल करते समय यह क्यों नहीं सोचा गया कि भविष्य में यह कामयाब है या नहीं। जमीन का मुआवजा बांटने के बाद  पीछे हटना सीधे तौर पर पीएम नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री मनोहरलाल की विकसित ओर मॉडल राज्य नीति को धाराशाही करना है। हम किसानों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे। अगर कोई अधिकारी इस प्रोजेक्ट में अब पीछे हट रहे हैं  तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहि। यह सरकार की छवि खराब करने का दुस्साहस है।

  पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास ने कहा सीएम से मिलेंगे

पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास ने हैरानी जताते हुए कहा कि जमीन का मुआवजा देने के बाद अधिकारी कहे कि वे भवन का मुआवजा नहीं देंगे। यह तो सरकार की इज्जत मिटटी पलीत  करने वाली बात है। जिसे मुआवजा मिल गया वह किसान अब कैसे लौटाएगा। रेवाड़ी में कभी किसान आंदोलन नहीं हुआ। अधिकारियों की वजह से सरकार की फजीहत हो रही है। वे इस मामले में जल्द ही सीएम से मिलेंगे। यह हैरान करने वाली बात यह है कि अधिकारी क्या सोचकर ऐसा कर रहे हैं।

 अगर यही काम करने का तरीका है तो माजरा एम्स का भी यही हाल होगा

किसानों ने कहा कि जब इस प्रोजेक्ट को फाइनल किया तो इसे इलाके का सबसे ड्रीम प्रोजेक्ट बताकर वाही वाही लूटी गईं। अब इसी सरकार में  इसमें कमी नजर आ रही है। यह सरकार की सबसे बड़ी नाकामी है। इस परियोजना के आने से सैकड़ों लोगों की आजिविका बदल रही थी। जिनके व्यवसायिक प्रतिष्ठान अधिग्रहण आ रहे थे उन्होंने मुआवजा की उम्मीद में कहीं ओर जमीन ले ली। इस परियोजना के चलते साथ लगती जमीनों के रेटों में भी उछाल आया हुआ था। अब किसानों का कहना है कि इस आधार पर तो गांव माजरा में प्रस्तावित एम्स का भी यहीं हश्र हो सकता है। ऐसा हो जाने से जनता का सरकार की योजनाओं पर भरोसा कम होगा और राजनीतिक तौर पर भाजपा को सबसे बड़ा नुकसान हो सकता है।

केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, राव इंद्रजीत, प्रदेश अध्यक्ष धनखड़ के संज्ञान में है यह मामला

मुआवजा को लेकर किसान कई माह से संघर्ष कर रहे  हैं। जिसके तहत उन्होंने  सीएम विंडो से लेकर केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, राव इंद्रजीत, प्रदेश अध्यक्ष धनखड़ के संज्ञान में आ चुका है।  राज्य के कैबिनेट मंत्री डॉ. बनवारीलाल के आवास के बाहर तो किसान उनका पुतला तक जला चुके हैं।