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डंके की चोट पर : आख़िर देश की नौकरशाही को हुआ क्या है ?
ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने सही कहा था अपने लिहाज़ से। ब्यूरोक्रेसी उनके शासन के लिए हर स्याह-सफ़ेद करने को तैयार रहती थी। वह भारतीय पर गोली चलाना हो या कृषि को खोखला करने की राजकीय साज़िश हो, या फिर हिन…