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डंके की चोट पर : झूठ की इंतहा नहीं, कोरोना सबकी कलई खोलता जा रहा है
रणघोष खास. कुमार प्रंशात की कलम से हमारे शायर कृष्ण बिहारी नूर ने कहा है : सच घटे या बढ़े तो सच ना रहे/ झूठ की कोई इंतहा ही नहीं. कोरोना इसे सही साबित करने में लगा है। कोई है जो दस नहीं हजार मुख स…