तीसरी पोजीशन पर रहने वाली विक्रम यादव महिला प्रत्याशी के तौर पर नंबर पर रही

रणघोष खास. वोटर की कलम से

इस चुनाव में 15 271 वोट लेकर तीसरी पोजीशन पर रहने वाली कांग्रेस प्रत्याशी विक्रम यादव को जब नगर परिषद रेवाड़ी चेयरमैन का प्रत्याशी बनाया गया उस समय उनके पास महज 10 दिन ही चुनाव प्रचार के लिए मिले थे।  उससे चार रोज पहले उसके चाचा ससुर पूर्व मंत्री कप्तान अजय सिंह यादव ने एलान कर दिया था कि उनके परिवार से कोई सदस्य चुनाव नहीं लड़ेगा। विक्रम यादव के ससुर अस्पताल में भर्ती थी जहां की उनकी हालत गंभीर थी।  इस सीट को लेकर जब राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदलना शुरू हुआ तो कप्तान ने पासा पलटा और विक्रम यादव को कांग्रेस का प्रत्याशी घोषित कर दिया। विक्रम यादव ने जब अपना प्रचार शुरू किया तो वह ऐसी पहली महिला प्रत्याशी थी जो पति की छाया से बाहर खुद की पहचान के साथ आगे बढ़ रही थी। हालांकि पूरी कमान पूर्व मंत्री कप्तान अजय सिंह एवं उनके बेटे चिरंजीवी राव ने संभाल रखी थी लेकिन विक्रम यादव भी अपने भाषण एवं बात रखने के तौर तरीकों से अपनी लोकप्रियता को बढ़ा रही थी। दूसरी तरफ भाजपा से पूनम यादव एवं उपमा यादव की कमान उनके पति के हाथ में थी। ऐसे में महिला आरक्षित इस सीट पर लीडरशिप के तौर पर विक्रम यादव लगातार वन पोजीशन पर रही। इसके लिए उन्होंने चुनाव लड़ रही अपनी बहनों को भी शहर के विकास मुद्दे पर खुली बहस के लिए भी निमंत्रण दिया था। यह उनका चुनाव में राजनीतिक एजेंडा भी था। इस चुनाव में देखा जाए तो कप्तान एवं चिरंजीव राव को करारा झटका लगा है। किसी को उम्मीद नहीं थी कि हार का अंतर उन्हें तीसरी पोजीशन पर खड़ा कर देगा।  कांग्रेस के लिए एक सकारात्मक पक्ष यह रहा कि उन्हें रेवाड़ी शहर में महिला के तोर पर एक तेजी से उभरता चेहरा मिल गया है। खुद विक्रम यादव ने कहा कि वह इसे हार नही बल्कि शुरूआती राजनीति की सबसे मजबूत आधारशिला मानती है। जिसमें उसे बहुत कुछ सीखने को मिला। चुनाव को हार-जीत से नहीं विजन की दृष्टि से देखना चाहिए। वह जल्द ही शहर में डोर टू डोर अभियान चलाकर जनता का आभार व्यक्त करेगी। चुनाव में समय बहुत कम मिला। इसलिए वह सभी घरों तक नहीं पहुंच पाईं। आने वाले दिनों में वह इस कमी को जरूर पूरा करेगी।