बावल में कांग्रेस जीती, भाजपा तीसरे नंबर पर, डॉ. बनवारीलाल को सबसे बड़ा झटका
रणघोष अपडेट. रेवाड़ी
चुनाव परिणाम से पहले किसी उम्मीदवार की जीत पर मीडिया ट्रायल करना खुद की विश्वसनीयता को पूरी तरह जोखिम में डालने जैसा है। दैनिक रणघोष ने नगर पालिका बावल चुनाव में स्पष्ट तौर से लिख दिया था कि मुकाबला एडवोकेट वीरेंद्र एवं चंद्रपाल चौकन के बीच रहेगा। परिणाम भी वहीं आए। रणघोष का सटीक विश्लेषण एक बार फिर पाठकों की उम्मीदों पर खरा उतर गया।
बुधवार सुबह जैसे ही मतगणना शुरू हुईं। सभी की एक एक वोटों पर नजर थी। कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार वीरेंद्र सिंह उर्फ बिल्लू 2996 वोट लेकर विजयी घोषित हो गए। दूसरे नंबर पर आजाद उम्मीदवार चंद्रपाल चौकन को 1938 वोट मिले। भाजपा प्रत्याशी शिव नारायण जाट को 1043 वोट के साथ तीसरे नंबर पर व जेजेपी समर्थित उम्मीदवार दीनदयाल सैनी 1004 वोट लेकर चौथे स्थान पर रहे।
कुशल प्रबंधन ने वीरेंद्र सिंह को जीत पर पहुंचा दिया
कांग्रेस के समर्थन से चुनाव लड़ रहे एडवोकेट वीरेंद्र सिंह शुरूआत से ही टक्कर में रहे हैं। ऐसा लग नहीं रहा था कि वे तीसरी या उससे नीचे की पोजीशन पर जा सकते हैं। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने ही समाज के अन्य तीन प्रत्याशियों का पुरजोर तरीके से खड़ा होना था। ऐसे में चंद्रपाल चौकन जबरदस्त टक्कर देते नजर आ रहे थे। भाजपा आपसी अंदरखाने अलग अलग कारणों से बिखर चुकी थी इसलिए शिवनारायण जाट शुरू से ही मुकाबले में नहीं थे। यहां वीरेंद्र सिंह की कुशल प्रबंधन नीति ने अपना असर दिखाया जबकि चंद्रपाल चौकन इस मामले में प्रबंधन से ज्यादा अकेले ही लड़ते नजर आए।
घर में ही कमजोर हो गए डॉ. बनवारीलाल
कहने को भाजपा प्रत्याशी शिवनारायण जाट चुनाव लड़ रहे थे असल में प्रतिष्ठा पूरी तरह यहां से विधायक एवं राज्य के कैबिनेट मंत्री डॉ. बनवारीलाल की लगी हुई थी। वहीं हुआ शिवनारायण जाट शुरूआत से लेकर अंत तक कहीं भी मुकाबले में नजर नहीं आए। इतना ही नहीं भाजपा की आपसी गुटबाजी, सही उम्मीदवार का चयन, गठबंधन का असली चरित्र ही भाजपा को भारी पड़ गया। कहने को यह छोटा चुनाव है लेकिन इसका असर बेहद गहरा है।
अब तो भाजपा जीते उम्मीदवार को भी अपना नहीं बना सकती
अगर वीरेंद्र सिंह की जगह चंद्रपाल चौकन जीत जाते तो भाजपाई उसे आनन फानन में अपना पुराना कार्यकर्ता बताकर आनन फानन में अपनी हार पर लीपापोती कर देते। ऐसा होता भी चौकन की गिनती केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के खेमें से ही होती आ रही है। वीरेंद्र सिंह शुरूआत से ही कांग्रेस के समर्थन को लेकर चुनाव लड़ रहे थे। नामाकंन के समय कांग्रेसी नेता पूर्व मंत्री डॉ. एमएल रंगा भी मौजूद रहे। खबर यह भी थी कि वीरेंद्र सिंह चुनाव प्रचार में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुउडा को भी बावल बनाने की तैयारी में थे लेकिन ऐन वक्त पर कार्यक्रम नहीं बना। ऐसे में भाजपा को अब तीसरे नंबर की हैसियत पर ही अपनी हार का मंथन करना पड़ेगा।
डॉ. बनवारीलाल को कमजोर कर रहे उनके करीबी
डॉ. बनवारीलाल कहने को राज्य के कैबिनेट और ताकतवर मंत्री की हैसियत रखते हैं लेकिन उनके पास भी कुशल प्रबंधन की बेहद कमी है। करीबी बताते हैं कि डॉ. बनवारीलाल के कार्यालय से लेकर निजी कार्यों को देखने वाले ज्यादा समय टिक नहीं पाते हैं। खुद डॉ. बनवारीलाल की टीम में भी धड़े बने हुए हैं जो हर समय एक दूसरे को ही कमजोर दिखाने में जुटा रहता है। इसलिए उनके कार्यालय में आयाराम गयाराम की भी स्थिति बनी हुई है।
चुनाव परिणाम के बाद डॉ. बनवारीलाल विरोधी धड़ा करेगा कई खुलासे
बावल चुनाव परिणाम के बाद जितनी खुशी चुनाव में जीते उम्मीदवार को नहीं हुई उससे ज्यादा डॉ. बनवारीलाल विरोधी धड़े में हैं। इस धड़े का कहना है कि डॉ. बनवारीलाल के करीबियों ने जमकर लूटपाट मचाई हुई थे। वे किसी को कुछ नहीं समझ रहे थे। 2019 के विधानसभा चुनाव में भी यही शोर मचा था। उससे भी हाईकमान ने सबक नहीं लिया। अब हम चुप नहीं बैठेंगे। जल्द ही आने वाले समय में बड़ा खुलासा करेंगे कि कैसे डॉ. बनवारीलाल की आड लेकर उनके करीबियों ने जमकर चांदी कूटी है।