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भारत को संविधान नहीं धर्म, जाति की मानसिकता चला रही है
भेदभाव इतना स्वाभाविक होता है कि सामान्य व्यवहार का हिस्सा बन जाता है और हम उसे भेदभाव की तरह पहचान भी नहीं पाते। अगर भारत की महिलाओं के बीच सर्वेक्षण करके यही सवाल पूछा जाए तो शायद उनमें भी अधिकतर…