अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) का रोवर पर्सीवरेंस फिलहाल मंगल की सतह पर खोज कर रहा है. रोवर पर्सीवरेंस ने मंगल ग्रह से हैरान कर देने वाली तस्वीर भेजी है. दरअसल रोवर पर्सीवरेंस ने मंगल ग्रह से धूल के सैतान की तस्वीरें भेजी है. नासा के रोवर ने मंगल ग्रह पर ‘धूल के शैतान’ को घूमते हुए देखा है. यह घटना वैसी ही है जैसी पृथ्वी पर रेगिस्तानी इलाकों में होती है.
NDTV के अनुसार कार के आकार के रोवर ने 30 अगस्त, 2023 को मंगल ग्रह के जेजेरो क्रेटर के पश्चिमी रिम पर धूल के शैतान को कैद किया था. अंतरिक्ष एजेंसी ने आगे कहा कि इसे पर्सीवरेंस के एक नेवकैम द्वारा चार सेकंड के अंतराल पर लिए गए 24 फ्रेम का उपयोग करके कैद किया गया था. धूल के शैतान आमतौर पर पृथ्वी पर बवंडर की तुलना में कमजोर और छोटे होते हैं. लेकिन यह वैज्ञानिकों को मंगल ग्रह के वातावरण को समझने और उनके मौसम मॉडल को बेहतर बनाने में मदद करते हैं.
Spot the dust devil 🌪@NASAPersevere captured a dust devil moving over Jezero Crater. The video is sped up 20x, and though only the lower portion of the dust devil can be seen, scientists estimate it to be about 1.2 miles (2 km) tall. https://t.co/1U8XuPe4oZ pic.twitter.com/ua4L2b1kGt
— NASA JPL (@NASAJPL) September 29, 2023
मिशन टीम के सदस्यों ने कैलकुलेट किया कि छोटा ट्विस्टर उस समय रोवर से लगभग 2.5 मील (4 किलोमीटर) दूर था और लगभग 19 किमी प्रति घंटे की गति से पूर्व से पश्चिम की ओर बढ़ रहा था. नासा ने आगे कहा कि यह लगभग 200 फीट (60 मीटर) चौड़ा था और कैमरे के फ्रेम में केवल नीचे 387 फीट (118 मीटर) घूमता हुआ दिखाई देने के बावजूद इसकी पूरी ऊंचाई का अनुमान लगाया गया था. पर्सीवरेंस साइंस टीम के सदस्य मार्क लेमन ने कहा कि इसकी छाया को देखकर इसकी ऊंचाई का भी अनुमान लगाया. मिशन टीम ने रोवर द्वारा कैप्चर की गई धूल शैतान की अलग-अलग तस्वीरें को एक साथ जोड़कर एक वीडियो बनाया जो 20 गुना तेज था.
नासा के अनुसार धूल के शैतान तब बनते हैं जब गर्म हवा ठंडी हवा के साथ मिलती है. मंगल ग्रह पर यह वसंत और गर्मियों के महीनों के दौरान सबसे अधिक प्रमुख होते हैं, लेकिन वैज्ञानिक यह अनुमान नहीं लगा सकते हैं कि वे किसी विशिष्ट स्थान पर कब दिखाई देंगे. मंगल का उत्तरी गोलार्ध जहां पर्सीवरेंस स्थित है वहां इस समय गर्मी का मौसम है. मंगल ग्रह पर पर्सीवरेंस के मिशन का एक अहम मकसद खगोल विज्ञान है, जिसमें प्राचीन सूक्ष्मजीव जीवन के संकेतों की खोज भी शामिल है.