शुक्र मानिए गेहूं 2 हजार माह पगार पर मिडे डे बनाने वाली महिला ने नहीं चुराया

– जिस मुख्याध्यापक ने यह हरकत की उसे सरकार बच्चो को पढ़ाने के नाम पर एक लाख रुपए से ज्यादा प्रति माह का वेतन देती हैं


– अगर चोरी महिला से हो जाती तो शिक्षकों की जमात बवाल खड़ा कर देती, अब सन्नाटा है।


 रणघोष खास. सुभाष चौधरी


गांव नांगल तेजू के सरकारी स्कूल में मिडे डे मिल के राशन से दो गेहूं कट्‌टा चुराकर अपनी गाड़ी से घर जा रहे मुख्याध्यापक को रंगे हाथों पकड़ने की घटना पर शर्मसार होने की जरूरत नहीं है। शिक्षा जगत में यह पहली घटना नहीं है। गलती से पकड़ में आ गए इसलिए चोर हो गए। शुक्र मानिए इस घटना को अंजाम एक लाख रुपए से ज्यादा का वेतन लेने वाले शिक्षक ने दिया है। अगर यही चोरी 2 हजार रुपए से भी कम महीने की पगार पर हर रोज मिड डे मिल तैयार करने वाली महिला कर देती तो अभी तक गांव में पंचायत हो जाती और शिक्षकों की जमात एकत्र होकर उस महिला का जुलूस निकाल देती। गेहूं चोरी को घटना के तौर पर देखना सबसे बड़ी भूल होगी। इसे केस स्टडी के तौर पर सरकारी स्कूलों में बनने वाले मिड डे मिल के सच को भी समझना जरूरी है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों एवं कुछ जिम्मेदार शिक्षकों की माने तो आधे से ज्यादा शिक्षक दिन में अपना पेट मिड डे मिल से ही भरते हैं। बसउनके भोजन के मीनू का लेवल घर व होटल जैसा होता है जबकि बच्चों का उनकी हैसियत जैसा।  बच्चों की संख्या के आधार पर मिड डे मिल का राशन सप्लाई होता है। आमतौर पर बच्चे इतना भोजन नहीं करते जितनी उनकी मात्रा निर्धारित की हुई है। लिहाजा स्टोर में राशन अधिकतर समय सरप्लस रहता है जिसे शिक्षकों की जमात डकार कर रिकार्ड में पूरा कर देती है। देखा जाए तो इसमें बुरी बात भी नहीं है। भोजन ही तो खा रहे हैं डाका थोड़ी डाल रहे हैं। इन शिक्षकों की कोई गलती नहीं है। जब इनके बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में 15-20 हजार वेतन लेने वाले टीचर पढ़ाते हैं तो इन्हें गेहूं चोरी के नाम पर बदनाम करना तर्कंसंगत नहीं है। सोचिए जब स्कूल में कोई भी रंगारंग कार्यक्रम या छोटा- बड़ा कार्यक्रम होता है तो भोजन, नाश्ता एवं चाय तक बच्चों के मिड डे मिल के राशन से तैयार होती है। जब शिक्षक घर की घर में खाने पीने की वस्तुओं का इस्तेमाल कर रहे है। इसमें बुरी बात क्या है। जो शिक्षक अपने बच्चे अपने ही स्कूल में पढ़ाने में शर्म  महसूस करते हैं तो आप उनसे बेहतर शिक्षा या राशन चोरी नहीं करने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं। धन्यवाद करिए शिक्षक संगठनों का जो आए दिन अपनी छोटी छोटी समस्याओं एवं मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन करती है वह कम से कम इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। इसलिए हमारा मानना है कि इस घटना को जितनी जल्दी हो उसे भूला देना चाहिए। यह किसी मुख्याध्यापक का नहीं गुरु का अपमान है जिसे हमारे ग्रंथों में ईश्वर से बड़ा दर्जा मिला हुआ है जिसकी कथनी- करनी में कोई अंतर नहीं होता।