स्मार्ट फोन को गले लगाते ही हमारी प्राइवेसी गिरवी हो गई, यह आज का कटु सच है
रणघोष खास. देशभर दरअसल, आज के दौर में रोटी, कपड़ा और मकान के साथ हमें सोशल मीडिया भी चाहिए, वरना जीवन नीरस हो जाएगा। इसके बगैर हम गेहूं के ढेर पर पड़े तो रहेंगे, लेकिन गुलाब की खुशबू से महरूम हो जाए…