रणघोष अपडेट. देशभर से
हिजाब विवाद मामले में कर्नाटक हाई कोर्ट ने आज अपना फैसला सुना दिया है। कर्नाटक हाई कोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर पाबंदी को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम में एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है। इस मामले में फैसला सुनाते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा कि स्कूल यूनिफॉर्म का प्रिस्क्रिप्शन एक उचित प्रतिबंध है, जिस पर छात्र आपत्ति नहीं कर सकता है। कोर्ट ने कहा कि 5 फरवरी के सरकारी आदेश को अमान्य करने के लिए कोई केस नहीं बनता है।
बता दें कि इस मामले में हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने पिछले माह अपनी सुनवाई पूरी कर ली थी। पूर्ण पीठ में मुख्य न्यायाधीश रितुराज अवस्थी, न्यायमूर्ति जेएम खाजी और न्यायामूर्ति कृष्ण एम दीक्षित शामिल हैं। फैसले से पहले, राज्य सरकार ने राज्य की राजधानी बेंगलुरु में “सार्वजनिक शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए” बड़ी सभाओं पर एक सप्ताह के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। मंगलवार को हिजाब मामले पर कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले से पहले, बेंगलुरु के पुलिस आयुक्त कमल पंत ने सोमवार को निषेधाज्ञा जारी करते हुए, शहर के सार्वजनिक स्थान पर किसी भी तरह के समारोहों, विरोध प्रदर्शनों के साथ-साथ 7 दिनों (15 मार्च से 21 मार्च) के बीच किसी भी प्रकार के समारोह पर प्रतिबंध लगा दिया। बता दें कि हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की इस बेंच ने क्लास में हिजाब पहनने के अधिकार से जुड़ी सभी याचिकाओं पर 25 फरवरी को सुनवाई पूरी करके फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस मामले ने राज्य में हिंसा और दंगे भड़काए थे। इसलिए इस फैसले से एक दिन पहले सोमवार को बेंगलुरु शहर में धारा 144 लागू कर दी गई है और एक हफ्ते के लिए पाबंदियां लगा दी गई हैं। इस दौरान किसी भी तरह का विरोध प्रदर्शन या लोगों की भीड़ इकट्ठा नहीं हो सकती है। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए स्पेशल बेंच का गठन किया था, जिसकी चर्चा कर्नाटक सहित पूरे देश में हो रही है। कोर्ट के फैसले से पहले शहर में 10,000 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया। अतिरिक्त रिजर्व पुलिस बल और शहर सशस्त्र रिजर्व भी तैनात किए गए। डीसीपी को सोशल मीडिया पर नजर रखने को कहा गया। दक्षिण कन्नड़ के डीसी राजेंद्र केंद्रीय विद्यालय ने मंगलवार को सभी स्कूलों और कॉलेजों में छुट्टी का आदेश दिया है। उन्होंने कहा, बाहरी परीक्षाएं निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार होंगी लेकिन सभी स्कूल और कॉलेज की आंतरिक परीक्षाएं स्थगित कर दी जाएंगी। इससे पहले मामले की सुनवाई के दौरान कर्नाटक सरकार की ओर से अदालत में दलील दी गई थी कि हिजाब एक आवश्यक धार्मिक परंपरा नहीं है और धार्मिक निर्देशों को शैक्षणिक संस्थानों के बाहर रखना चाहिए। हिजाब मामले की सुनवाई कर रही कर्नाटक हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ से राज्य के महाधिवक्ता प्रभुलिंग नावडगी ने कहा था, ‘‘हमारा यह रुख है कि हिजाब एक आवश्यक धार्मिक परंपरा नहीं है। डॉ. भीमराव आंबेडकर ने संविधान सभा में कहा था कि ‘हमें अपने धार्मिक निर्देशों को शैक्षणिक संस्थानों के बाहर रख देना चाहिए।”
बता दें, मुस्लिम छात्राओं को शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनकर प्रवेश से रोकने को लेकर विवाद दिसंबर में शुरू हुआ था, जब कर्नाटक के उडुपी जिले की छह छात्राओं ने आवाज उठाई थी। उसके बाद लड़कियां हाईकोर्ट में गुहार करने पहुंची थीं। तभी से यह मामला बढ़ता चला जा रहा है। कर्नाटक हाईकोर्ट ने फिलहाल कोई भी धार्मिक प्रतीक पहनकर स्कूल जाने पर अस्थाई रोक लगा दी है।