1967 में गेहूं 76 रुपए प्रति क्विंटल, प्राइमरी टीचर का वेतन 70 रुपए महीना था आज पता कर ले सरकार किसान कहां खड़ा है

केंद्रीय कृषि कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानून की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि एमएसपी के लिए सरकार उनके पिता महेंद्र टिकैत के फॉर्मूले को लागू करे। इसके मुताबिक, 3 क्विंटल गेहूं की कीमत 1 तोले सोने के बराबर होनी चाहिए। बता दें, अभी एक 24 कैरेट के एक तोले सोने की कीमत करीब 48 हजार रुपए है, जबकि गेहूं का समर्थन मूल्य 1975 रुपए प्रति क्विंटल है। राकेश टिकैत ने कहा कि MSP को लेकर सरकार उनके पिता महेंद्र सिंह टिकैत के फॉर्मूले को लागू कर दे। उन्होंने कहा, ”1967 में भारत सरकार ने गेहूं की एमएसपी 76 रुपए प्रति क्विंटल तय की थी, उस समय प्राइमरी स्कूल के टीचरों की सैलरी 70 रुपए महीने थी। वह एक महीने की सैलरी से 1 क्विंटल गेहूं नहीं खरीद सकते थे। 1 क्विंटल गेहूं की कीतम से ढाई हजार ईंट खरीद सकते थे। तब 30 रुपये की 1 हजार ईंट आती थीं।” 

राकेश टिकैत ने कहा कि तब सोने का भाव 200 रुपए प्रति तोला था, जो तीन क्विंटल गेहूं से खरीदा जा सकता था। उन्होंने कहा, ”हमको अब तीन क्विंटल गेहूं के बदले 1 तोला सोना दे दो। जितनी कीमत और चीजों की बढ़े उतनी ही गेहूं की भी बढ़नी चाहिए।” 

तो क्या होगी गेहूं की कीमत

सोने की कीमत के साथ तुलना करें तो टिकैत की मांग के मुताबिक, 1 क्विंटल गेहूं की कीमत करीब 16 हजार रुपए होगी, जोकि मौजूदा एमएसपी से 8 गुना अधिक है। इस हिसाब से एक किलो गेहूं की कीमत करीब 160 रुपए होनी चाहिए।

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