तीन साल साल पहले एक दिन की बच्ची नई दिल्ली इलाके में सड़क पर लावारिश हालत में मिली थी। पुलिस ने बच्ची के माता-पिता की काफी तलाश की, लेकिन कोई सुराग न मिलने पुलिस ने बच्ची को एक बाल गृह को सौंप दिया था। अब इस बच्ची को सऊदी अरब में रहने वाले भारतीय मूल के दंपति ने गोद ले लिया है। अदालत की अनुमति से बच्ची को इस दंपति के सुपुर्द किया गया है। दंपति को अदालत ने बच्ची को सऊदी अरब ले जाने की इजाजत दे दी है। अब बच्ची की परवरिश सऊदी अरब में होगी।
साकेत स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश नीना बंसल कृष्णा की अदालत ने अबोध बच्ची के भविष्य को देखते हुए यह निर्णय किया है। अदालत ने कहा कि जिस दंपति ने इस बच्ची को गोद लिया है उनके अपनी कोई संतान नहीं है। साथ ही इस दंपति की पारिवारिक स्थिति संबंधी रिपोर्ट से पता चला है कि पति-पत्नी दोनों सऊदी अरब में अलग-अलग कारोबार करते हैं और प्रतिमाह अच्छा-खासा कमा लेते हैं। ऐसे में यह दंपति इस बच्ची का न केवल अच्छा लालन-पालन कर सकेंगे, बल्कि उसे अच्छी शिक्षा भी दिलाएंगे। अदालत ने यह भी कहा कि भावनात्मक तौर पर देखा जाए तो इस दंपति को अपनी औलाद मिलेगी और बच्ची को माता-पिता का साया मिलेगा।
दंपति ने बच्ची को अपना नाम दिया, दस्तावेज किए पेश
इस दंपति ने गोद लेने की सारी प्रक्रिया पूरी करते हुए उसका नाम बदल दिया है। बच्ची को पिता का सरनेम दे दिया गया है। इससे संबंधित दस्तावेज अदालत में समक्ष पेश किए, जिसे अदालत ने मंजूर कर लिया है। साथ ही बच्ची को पूरी तरह से इस दंपति को सौंपने के निर्देश भी दिए हैं।
शादी के 20 साल बाद भी नहीं हुई संतान
इस दंपति की तरफ से अदालत में दलील पेश की गई की उनकी शादी वर्ष 2001 में हुई थी। काफी समय तक उन्होंने बच्चे के जन्म के लिए इलाज कराया, लेकिन महिला गर्भवती नहीं हो सकी। इसके बाद दंपति ने बच्चा गोद लेने का निर्णय किया। इस दंपति ने इसके लिए संबंधित सामाजिक संस्था में पंजीकरण कराया था।
दो साल तक बच्ची पर अदालत रखेगी निगरानी
अदालत ने बेशक बच्ची को गोद देने की प्रक्रिया पर अपनी मुहर लगा दी है, लेकिन बच्ची पर दो साल तक कानून की नजर रहेगी। बच्ची के विकास को लेकर समय-समय पर रिपोर्ट पेश करनी होगी। इसके लिए एक प्रोबेशन अधिकारी की नियुक्ति की गई है। जो कि बच्ची की परवरिश व विकास को लेकर हर तीन महीने में एक रिपोर्ट पेश करेगा। इसके लिए सऊदी अरब स्थित भारतीय दूतावास की मदद भी ली जा सकती है। हालांकि, अदालत ने संबंधित विभागों को यह निर्देश भी दिया है कि बच्ची का पासपोर्ट व वीजा बनवाने में दंपति की सहायता करें।