5 राज्यों में अब भी कोरोना चिंताजनक, तीसरी लहर से बचाव के लिए अगले तीन महीने बेहद अहम: स्वास्थ्य मंत्रालय

 रणघोष अपडेट. देशभर से 

स्वास्थ्य मंत्रालय ने आगाह किया कि महामारी की चुनौती अभी खत्म नहीं हुई है। अक्टूबर से दिसंबर तक यानी तीन महीने लोगों को अधिक सतर्क रहना होगा। त्योहारों और शादियों के दौरान कोरोना का संक्रमण बढ़ सकता है।  सरकार ने लोगों से भीड़-भाड़ से बचने और कोरोना उचित व्यवहार के पालन का अनुरोध किया है। नीति आयोग का कहना है कि 71 फीसद जनसंख्या को वैक्सीन की कम से कम एक डोज मिल जाने के बावजूद तीसरी लहर का खतरा बना हुआ है। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि 5 राज्य ऐसे हैं जहां अभी भी 10 हजार से ज्यादा सक्रिय मामले बने हुए हैं। केरल में 1.22 लाख के करीब एक्टिव केस हैं। महाराष्ट्र में 36 हजार के करीब सक्रिय मामले हैं। तमिलनाडु, मिजोरम और कर्नाटक में भी इलाज करा रहे मरीजों की संख्या अधिक है। उऩ्होंने कहा कि कोरोना महामारी की वीकली पॉजिटिविटी दर पिछले हफ्ते घटकर 1.68% पर आ गई। इससे पहले यह 5.86% थी। उन्होंने कि संक्रमण की स्थिति फिलहाल भले ही नियंत्रण में दिख रही हो, लेकिन जरा सी भी लापरवाही से यह बिगड़ सकती है। संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि देश में अब भी नौ राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के 34 जिलों में कोरोना संक्रमण की दर 10 फीसद से अधिक बनी हुई है, जबकि 12 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के 28 जिलों में यह पांच से 10 फीसद के बीच है। जुलाई महीने में आइसीएमआर ने अक्टूबर से दिसंबर के बीच  कोरोना की तीसरी लहर आने के आशंका जताई थी। लेकिन साथ ही यह भी साफ कर दिया था कि तीसरी लहर कोरोना की दूसरी लहर की तुलना में कमजोर होगी और यह टीकाकरण से लेकर वायरस में म्यूटेशन तक कई कारकों पर निर्भर करेगी। नीति आयोग के डाक्टर वीके पाल के अनुसार पूरे देश में 28 हजार लेबोरेटरी में कोरोना वायरस के म्यूटेशन पर लगातार नजर रखी जा रही है, लेकिन अभी तक कोई ऐसा म्यूटेशन सामने नहीं आया है, जो डेल्टा म्यूटेशन की तुलना में अधिक संक्रामक हो। वैसे उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि म्यूटेशन और तीसरी लहर का इंतजार किए बिना सरकार अपनी तैयारियों में जुटी है और 71 फीसद से अधिक व्यस्क लोगों को एक डोज का टीकाकरण इसी का नतीजा है। उऩ्होंने कहा कि दूसरी लहर से सीख लेते हुए सरकार तीसरी लहर से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। इसके तहत प्रतिदिन 4.5 से पांच लाख नए केस आने की स्थिति में लोगों को इलाज मुहैया कराने की पूरी तैयारी हो चुकी है। जबकि दूसरी लहर के दौरान लगभग चार लाख नए केस प्रतिदिन आ रहे थे।

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