डंके की चोट पर : ये आम मौत नहीं सरकारी हत्याएं हैं, जिसकी ज़िम्मेदार सरकार है.. इसे स्वीकार करना पड़ेगा
चुप मत होना. ये चिल्ला-चिल्लाकर सबको चुप करा देते हैं। अर्थियां हमने अपने कंधों पर उठाई हैं। इन चिताओं की रोशनियां हमें आगे का रास्ता दिखा रही हैं। और आगे का रास्ता साफ़ है, हमें मिलकर इनका अभिमान, …