भोपाल गैस कांड की पूर्व चेतावनी देने वाले पत्रकार केसवानी नहीं रहे

विश्व की भीषणतम त्रासदियों में से एक भोपाल गैस कांड को लेकर पूर्व  चेतावनी देने वाले जाने-माने पत्रकार राजकुमार केसवानी का भोपाल में निधन हो गया। केसवानी ताउम्र अपने पत्रकारीय जीवन में प्रतिकूल हालातों से दो-दो हाथ करते रहे, लेकिन कोरोना संक्रमण ने उन्हें हरा दिया।केसवानी करीब डेढ़ माह पहले कोरोना की चपेट में आये थे। भोपाल के अलग-अलग अस्पतालों में उनका इलाज चला। लेकिन शुक्रवार को कोरोना ने उन्हें हरा दिया। उनकी आयु 72 वर्ष थी। 

भोपाल के मूल निवासी केसवानी को ठेठ अंदाज के लिये जाना जाता रहा। करीब पाँच दशक तक उन्होंने पत्रकारिता की। वे भोपाल गैस त्रासदी के बाद दुनिया भर की पत्रकार बिरादरी में ख्यात हुए थे।

भोपाल गैस त्रासदी

दरअसल, केसवानी ने हज़ारों लोगों की जान ले लेने और लाखों लोगों को जीवन भर का दर्द दे गये भोपाल गैस कांड के होने की संभावनाएँ पहले ही जतला दी थीं।राजकुमार केसवानी ने अपने अखबार ‘रपट’ में सबसे पहले भोपाल गैस कांड की आशंकाओं को लेकर खबर छापी थी। 2 और 3 दिसंबर 1984 को हुए गैस हादसे के ठीक पहले केसवानी ने लिख दिया था, ‘भोपाल बारूद के ढेर पर बैठा है। समय रहते नहीं चेते तो यूनियन कार्बाइड कारखाने में जो ज़हर इकट्ठा है, किसी भी दिन भोपाल में लाशों का ढेर लगा देगा।’

‘जनसत्ता’ में छपी ख़बर

राजकुमार केसवानी की इस रिपोर्ट को और विस्तार के साथ बाद में ‘जनसत्ता’ अखबार ने छापा था। केसवानी के नाम से ‘जनसत्ता’ में छपी पूरी रिपोर्ट के छह महीने बाद भोपाल गैस हादसा हो गया था। बिलकुल वैसे ही हालात और मंजर बने थे, जिनकी खुली चेतावनियाँ  केसवानी अपनी रिपोर्टस में देते रहे थे।भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाने में बनने वाली कीटनाशकों के लिए भंडार करके रखी गई मिथाइल आइसो सायनाइट (एमआईसी) नामक गैस रिसने से हज़ारों लोगों की जान चली गई थी। हादसे के बाद राजकुमार केसवानी को यूनियन कार्बाइड कारखाने को लेकर चेताने वाली रिपोर्टस के लिये सराहा गया था, लेकिन वे यही अफ़सोस जताते रहे थे कि निकम्मे प्रशासन और शासन ने वक्त रहते उनकी ख़बरों को गंभीरता से ले लिया होता तो यह हादसा नहीं होता।आगे भी जब कभी उनकी दूरदर्शिता भरी रिपोर्टस की सराहना हुई, केसवानी ने हमेशा हादसे के वक्त की प्रदेश की सरकार को कोसा। 

फिल्मों पर लिखने में महारथ थी

केसवानी पत्रकारिता जगत में आने के पहले फिल्म जगत से जुड़े रहे। उन्होंने पत्रकारिता में आने के बाद फिल्मों पर जमकर लिखा। अनेक किताबें लिखीं। केसवानी के फिल्मों से जुड़े तमाम लेखन में ‘मुगल-ए-आजम’ नामक पुस्तक को खूब सराहा गया।  केसवानी बॉलीवुड से जुड़े दुर्लभ कलेक्शन के लिये भी जाने-जाते रहे। उनके अपने कलेक्शन में आज भी कई वो दुर्लभ म्यूजिकल रिकार्ड हैं जो देश भर में किसी दूसरे के पास शायद ही हों।

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