राजस्थान: हेमाराम के इस्तीफे ने कर दिया कमाल,डर गए अशोक गहलोत ?

 रणघोष खास. जयपुर से


6 बार विधायक रहे और पूर्ववर्ती गहलोत सरकार में राजस्व मंत्री की जिम्मेदारी निभा चुके विधायक हेमाराम चौधरी ने बीते सप्ताह इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद राजस्थान की राजनीति में तूफान आ गया। पायलट गुट की सक्रियता फिर से दिखाई देने लगी। एमएलए हेमाराम चौधरी का आरोप है कि उनके विधानसभा क्षेत्र गुड़ामलानी में समुचित विकास कार्यो की अनदेखी होने की वजह से उन्हें इस्तीफा देने के लिए बाध्य होना पड़ा है। अब गहलोत सरकार ने पिछले कई वर्षो से अटके तीन 33 केवी सब स्टेशन व नर्मदा नहर आधारित पेयजल परियोजना समेत कई विकास कार्य परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई हैं। दरअसल, हेमाराम चौधरी पायलट गुट के समर्थक विधायकों में से एक माने जाते हैं। तीन सीटों पर हुए उपचुनाव में से दो सीटें कांग्रेस के खाते में गई है जबकि एक सीट राजसमंद वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खाते में गई है। दो सीटों पर कांग्रेस की जीत दर्ज होने के बाद अशोक गहलोत का कद फिर से बढ़ गया है। गहलोत गुट गदगद है जबकि पायलट खेमे में पार्टी की जीत होने के बाद भी खींचातानी की स्थिति बनी हुई है। क्योंकि, यदि उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी सत्तारूढ़ दल होने के बावजूद भी अच्छा प्रदर्शन नहीं करती तो इससे गहलोत की छवि को नुकसान होता और पायलट पर आलाकमानों का विश्वास बढ़ता। जिसको लेकर लगातार पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट उपचुनाव से पहले किसान आंदोलन और आयोजित किए गए पंचायतों के दौरान काफी सक्रिय दिख रहे थे। पिछले साल कोरोना महामारी की पहली लहर के बीच सचिन पायलट खेमे ने गहलोत सरकार की परेशानी बढ़ा दी थी। करीब 18 विधायक, जो पायलट गुट के हैं, उन्होंने दिल्ली में डेरा डाल दिया था। कांग्रेस की अगुवाई वाली गहलोत सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे थे। लेकिन, समझौते के बाद फिर गहलोत सरकार फ्लोर टेस्ट में सफल रही। लेकिन, अभी फिर से बगावती सुर गूंजने लगे हैं। पहले विधायक रमेश मीणा ने माइक वाली सीट आवंटित ना किए जाने के बहाने गहलोत सरकार पर मनमानी और एक पक्ष की आवाज को दबाने का आरोप लगाया था। वहीं, हेमाराम चौधरी ने इस्तीफा देकर फिर से कांग्रेस के लिए रेड अलार्म बजा दिया। दरअसल, राजनीतिक जानकारों का कहना है कि चौधरी को मंत्री बनाए जाने को लेकर समझौता हुआ था, पर उन्हें अभी तक जगह नहीं मिली है। वहीं, सीएम गहलोत अब मंत्रिमंडल विस्तार करने से परहेज और देरी कर रहे हैं क्योंकि,  उन्हें फिर से कलह का अंदेशा है।

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