हरियाणा सामाजिक न्याय मंच के अध्यक्ष अनिल कुमार यादव व संरक्षक प्रोफेसर आर एस यादव ने कहां की हरियाणा सरकार पिछड़ों के आरक्षण को बड़ी चालाकी से खत्म करने की साजिश कर रही है जो पिछले कुछ वर्षों में सरकार के द्वारा किए गए आरक्षण संबंधी कामों से लगातार खुलासा हो रहा है पिछले कुछ वर्षों में कई बार ऐसे मौके आए हैं जब भाजपा सरकार की आरक्षण विरोधी मानसिकता का पर्दाफाश हुआ है। सरकार सोची समझी रणनीति के तहत पिछड़े वर्ग के लोगों को उनके हकों से वंचित रखना चाहती है। श्री यादव वप्रोफेसर साहब ने बताया कि ताजा मामले में हरियाणा सरकार सरकार द्वारा पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के लिए क्रीमी लेयर की जो अधिसूचना 17 नवंबर 2021 को जारी की गई है वह माननीय सुप्रीम कोर्ट के दिनांक 24. 8. 2021 के फैसले वह आदेशों की अवमानना व उल्लंघन है जिसमें इंदिरा साहनी वह भारत सरकार केस के दृष्टिगत निर्धारित मापदंडों के अनुसार नया नोटिफिकेशन जारी करने के लिए कहा गया था। इस नोटिफिकेशन से तो आरक्षण का आधार केवल और केवल आर्थिक आधार हो गया है जो कि संविधान की सरेआम अवमानना है क्योंकि संविधान में पिछड़ों के आरक्षण का आधार सामाजिक व शैक्षणिक पिछड़ापन है ना की आर्थिक आधार उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान सरकार की उपरोक्त ताजा अधिसूचना दिनांक 17 नवंबर 2021 ने तो क्रीमी लेयर के सभी फैसलों आदेशों की बड़ी बेरहमी से अवमानना करके पिछड़ा वर्ग के संवैधानिक व न्याय संगत आरक्षण / हकों पर सरेआम कुठाराघात किया है जो इस प्रकार हैं नंबर 1 माननीय सुप्रीम कोर्ट के दिनांक 24. 8. 2021 के फैसले हुए आदेशों की अवमानना करके। नंबर दो सन 1992 के इंदिरा साहनी बनाम केंद्र सरकार के माननीय सुप्रीम कोर्ट के नौ जजों के फैसले को नकार कर। नंबर 3 सन 1993 की केंद्रीय सरकार की क्रीमी लेयर की अधिसूचना जो पूरे देश में लागू है उसको भी न मान कर। नंबर 4 सन 1995 की हरियाणा सरकार द्वारा की गई अपनी ही अधिसूचना को नै मानना जो कि 2016 तक इंदिरा साहनी व केंद्रीय सरकार के नियमों के अनुसार ही क्रीमी लेयर निर्धारित की जाती थी। नंबर 5 संविधान संशोधन 127 वां एनसीबीसी के अनुच्छेद 338b की धारा 9 को ना मानना। श्री यादव ने आगे बताया कि उपरोक्त तथ्यों से यह स्पष्ट होता है कि हर सरकार जानबूझकर पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को खत्म करने पर खुली हुई है यह पिछड़ा वर्ग के साथ घोर अन्याय व जुर्म है कहीं ऐसा ना हो कि वर्तमान सरकार को आने वाले चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़े । सरकार को अविलंब पिछड़ों के वाजिब हकों का नया नोटिफिकेशन जिसमें सैलरी और खेती के इनकम शामिल ना की जाए को तुरंत जारी करना चाहिए ताकि वर्तमान में चालू सभी भर्तियों व एडमिशन में पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों को फायदा मिल सके।