रणघोष खास: असाधारण शख्सियत हैं रुश्दी

रणघोष खास. विश्वभर से 

फतवे की वजह से रुश्दी जब अंडरग्राउंड थे तो 2012 में “जोसेफ एंटोन” नाम से उनकी किताब आई थी। उन्होंने उस दौरान अपना यह नाम रख लिया था और बाद में एक किताब का शीर्षक भी इसी नाम पर दिया। उन्हें ब्रिटिश सुरक्षा मिली हुई थी। उससे जुड़े तमाम संस्मरण उन्होंने इस किताब में डाले। इस किताब के आने के बाद उन्हें असाधारण लेखक कहा गया। उनके बारे में प्रकाशित तमाम लेखों में कहा गया कि रुश्दी एक सामान्य लेखक नहीं हैं।रुश्दी 2016 में अमेरिकी नागरिक बने और अब वो न्यूयॉर्क शहर में रहते हैं। उन्होंने इस शहर की सुरक्षा की काफी पैरोकारी की है कि वो इस शहर में बहुत ज्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं।उनके दूसरे उपन्यास, “मिडनाइट्स चिल्ड्रन” ने बुकर पुरस्कार जीता। उनका नया उपन्यास “विक्ट्री सिटी” फरवरी में प्रकाशित होने वाला है।  संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा निर्वासन में रहने वाले कलाकारों को शरण देने और “रचनात्मक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए बने एक हाउस से जुड़े हुए थे।जहां पर शुक्रवार को कार्यक्रम था, उस चौटाउक्वा इंस्टीट्यूशन में कोई स्पष्ट सुरक्षा जांच नहीं थी। 19 वीं शताब्दी में बनी इसी नाम की छोटी सी झील के किनारे बसे इस शहर में स्थापित यह संस्था रुश्दी जैसे लेखकों के लिए मील का पत्थर साबित हो रही है। यहां के कर्मचारियों ने प्रवेश के लिए लोगों के पास की जाँच की थी।  मुझे लगता है कि हमें वहां अधिक सुरक्षा की जरूरत है क्योंकि सलमान रुश्दी एक सामान्य लेखक नहीं हैं। वह ऐसे लेखक हैं जिनके खिलाफ फतवा है। चौटाउक्वा इंस्टीट्यूशन के अध्यक्ष माइकल हिल ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के लिए राज्य और स्थानीय पुलिस के साथ काम करने का अभ्यास था। उन्होंने कसम खाई है कि यहां कार्यक्रम जल्द ही फिर शुरू होगा। उसे कोई रोक नहीं सकता।

हिल ने कहा, हमारा पूरा उद्देश्य उस दुनिया को पाटने में लोगों की मदद करना है जो नफरत और विभाजन की बातें करते हैं। जो हमें बांटते हैं। इस घटना के बाद अगर चौटाउक्वा संस्थान अगर सबसे बुरा काम कर सकता है, तो वह है अपने मिशन से पीछे हटना। मुझे नहीं लगता कि रुश्दी भी ऐसा चाहेंगे। इसलिए हम बेधड़क होकर यहां कल्चरल फ्रीडम के लिए काम करते रहेंगे।  मुस्लिम होने के बावजूद रुश्दी “कठोर नास्तिक” हैं। वह हर धर्म के घोर आलोचक रहे हैं। लेकिन इसके साथ ही वो भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हिंदूवादी सरकार द्वारा अपने मूल देश भारत में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के बारे में खुलकर बोलते रहे हैं। अभिव्यक्ति की आजादी को समर्पित संस्था PEN ने इस हमले की कड़ी निन्दा की है। रुश्दी इस संस्था के भी अध्यक्ष रहे हैं। पेन ने कहा कि यह संयुक्त राज्य में एक लेखक पर एक अभूतपूर्व हमला है, जिसे हम हैरानी के साथ-साथ भय से भी देखते हैं। पेन की मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुजैन नोसेल ने बयान में कहा, सलमान रुश्दी को कई दशक से उनकी बातों के लिए निशाना बनाया जाता रहा है, लेकिन वो न कभी झुके हैं और न ही लड़खड़ाए हैं। उन्होंने कहा कि शुक्रवार सुबह ही रुश्दी ने उन्हें यूक्रेन के लेखकों को शरण देने के लिए ट्रांसफर करने में मदद करने के लिए ईमेल किया था।

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