एसी के जरिए कोरोना वायरस बहुत दूरी तक फैलना संभव है। प्रतिष्ठित नेचर पत्रिका में छपे एक वैज्ञानिक अध्ययन में यह दावा किया गया है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि वातावरण में मौजूद रह जाने वाले बहुत छोटे संक्रमित कणों से जो एरोसोल संक्रमण पैदा होता है, वह कोरोना वायरस को बहुत दूरी तक फैलाने में सक्षम है।
जब शोधकर्ताओं ने एक कोरोना वार्ड में लगे वेंटिलेशन की खोलकर जांच और तीन कोरोना वार्डों की अंदर की हवा को बाहर निकालने वाली केंद्रीय नलिकाएं को जांचा तो उनमें कोरोना के संक्रमित कण मौजूद थे। इतना ही नहीं शोधकर्ताओं ने कोविड वार्डों से दूर बने केंद्रीय वेंटिलेशन सिस्टम में भी वायरस के कणों की मौजूदगी पायी।
इस आधार पर शोधकर्ताओं का कहना है कि एरोसोल माध्यम से भी कोरोना वायरस लंबी दूरी तक फैल सकता है । शोधकर्ता का यह भी कहना है कि संक्रमण को पूरी तरह रोकने के लिए सिर्फ ड्रॉपलेट तरीके से फैलने वाले संक्रमण को ही रोकना पर्याप्त नहीं होगा। एयरबोर्न तरीके से फैलने वाले एरोसोल संक्रमण को भी रोका जाना जरूरी है।