चुनाव लड़ रहे सभी प्रत्याशी ध्यान दे..

रात की वोट मजबूत होती है, दिन की बिखर जाती है…


हकीकत  से रूबरू होना है तो रात को इधर उधर टहल आइए। राजनीति के चौकीदार चहलकदमी करते हुए नजर आएंगे।


 रणघोष खास. सुभाष चौधरी

 हरियाणा विधानसभा चुनाव में जो उम्मीदवार पहली बार मैदान में उतरे हैं। उनके लिए यह जानकारी विशेष फायदेमंद हो सकती है। जिनका लंबा अनुभव है वे समझ जाएंगे इशारा कहा जाकर ठहर रहा है।

 दिन में सभी उम्मीदवार सार्वजनिक तोर पर हाथ जोड़कर, दंडवत होकर एक एक वोट के लिए पूरी जमीन नाप देते हैं। ऐसा सभी करते हैं इसलिए मतदाता मूड के हिसाब से तय करता है की वोट किसे देनी है। वोट डालने तक उसका दिमाग कई तरह बदलता रहता है। इसलिए यह मानकर चलना की वह अपना है ओर हमें वोट देगा। सरासर धोखे की गुंजाइश ज्यादा रहेगी।  मोटे तोर पर जुटाई जानकारी के अनुसार 80 प्रतिशत से ज्यादा मतदाता यह अहसास नही होने देते की वे किसी भी उम्मीदवार से दूर है। यही उम्मीदवार सांझ ढलते ही योजना के तहत घरों के दरवाजे खटखटाते हैं।  कई तरह की मंत्रणा होती है। शेयर मार्केट की तरह कीमत तय होती है और एक एक वोट का पूरा हिसाब नोट किया जाता है। जवाबदेही तय होती है। सही मायनों में किसी भी प्रत्याशी के लिए यही वोट मजबूत ओर असली नजर आने लगती है। ऐसी वोटों के लिए उम्मीदवार का खुला मन, बेहिचक, बेपर्दा, चेहरे पर  एक साथ कई चरित्रों को निभाने की अदभूत क्षमता का होना जरूरी है। शहरी सीटों पर रात के वोटों का खेल ज्यादा होता है। गांवों में भी होता है लेकिन पड़ोसी अपने घर के बर्तन की आवाज से ज्यादा साथ वाले घर से आने वाली आहट से जल्दी जाग जाता है। इसलिए गौर करिए। शहरों में रात को वोटर जागता है और दिन में लोकतंत्र सोता है। इसलिए यह सोचना ही घातक है प्रत्याशी पूरी ईमानदारी से चुनाव जीता है। हकीकत  से रूबरू होना है तो रात को इधर उधर टहल आइए। राजनीति के चौकीदार चहलकदमी करते हुए नजर आएंगे।