यूपी मेडिकल कॉलेजों में SC-ST Reservation सिर्फ 2% — Allahabad High Court ने नई Counseling पर लगाई रोक

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने एक अहम आदेश में जालौन, कन्नौज, अंबेडकरनगर और सहारनपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में नई काउंसलिंग की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। अदालत ने यूपी सरकार से एक सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। साथ ही स्पष्ट किया है कि अगले शैक्षिक सत्र से इन कॉलेजों में प्रवेश 2006 की आरक्षण व्यवस्था के आधार पर ही होंगे।

गुरुवार को सुनाए गए फैसले में अदालत ने कहा कि जिन एससी-एसटी छात्रों ने आरक्षण सीमा से अधिक सीटों पर प्रवेश पाया है, उन्हें अब अन्य सरकारी मेडिकल कॉलेजों में स्थानांतरित किया जाएगा। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि आगामी सत्र से एससी-एसटी छात्रों को केवल 2 फीसदी आरक्षण मिलेगा।

सरकार और प्रतिवादी की दलीलें

मंगलवार को न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला की खंडपीठ के समक्ष राज्य सरकार की विशेष अपील पर सुनवाई हुई थी। सरकार की ओर से दलील दी गई कि सुप्रीम कोर्ट के इंदिरा साहनी मामले में यह सिद्धांत स्थापित किया जा चुका है कि आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ाई जा सकती है। हालांकि, अदालत सरकार की दलील से संतुष्ट नहीं हुई।

सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि चार मेडिकल कॉलेजों में नई काउंसलिंग की प्रक्रिया से प्रदेश के अन्य सभी मेडिकल कॉलेज प्रभावित होंगे। वहीं, प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ता मोतीलाल यादव ने तर्क दिया कि इन मेडिकल कॉलेजों में राज्य सरकार के कोटे की कुल 85-85 सीटें हैं, लेकिन उनमें से केवल 7-7 सीटें ही अनारक्षित वर्ग के लिए रखी गईं, जो स्पष्ट रूप से असमानता है।

एकल पीठ का फैसला

इससे पहले, 25 अगस्त को एकल पीठ ने छह शासनादेशों को निरस्त कर दिया था। उस निर्णय में पाया गया कि शासनादेशों के माध्यम से आरक्षित वर्ग के लिए 79 प्रतिशत से अधिक सीटें सुरक्षित कर दी गई थीं। अदालत ने कहा था कि यह नियमों के विरुद्ध है और केवल कानूनी प्रावधानों का पालन करते हुए ही 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण दिया जा सकता है।

एकल पीठ ने आदेश दिया था कि 2006 के आरक्षण अधिनियम का पालन करते हुए नई सीटों की काउंसलिंग कराई जाए। हालांकि, अब खंडपीठ ने उस आदेश पर रोक लगा दी है और मामले की अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनाए रखने को कहा है।