कोसली में विक्रम यादव की राजनीति में करंट दौड़ने लगा है
रणघोष खास. कोसली से ग्राउंड रिपोर्ट
2014 के विधानसभा चुनाव में महज 42 दिनों में भाजपा की टिकट पर पहली बार विधायक और उसके तुरंत बाद सरकार में मंत्री बने विक्रम यादव ठेकेदार उस समय भाग्यशाली नेताओं में शामिल थे जिन्हें राजनीति में फटाफट सबकुछ मिलता चला गया। हालांकि इससे पूर्व उनकी पत्नी सुरेश देवी जिला प्रमुख रह चुकी है। इस बार के विधानसभा चुनाव में भी इस नेता की राजनीति में भी पूरी तरह से करंट दौड़ रहा है। 2019 के चुनाव में टिकट कटने के बाद भी वे भाजपा के प्रति समर्पित रहे ओर पूरी तरह से पार्टी ओर सामाजिक गतिविधियों में अपनी सक्रियता को कम नही होने दिया।
2014 के चुनाव में विक्रम यादव पूरी तरह से केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के आशीर्वाद से जीत दर्ज कर पाए थे। राव ने विक्रम की जीत के लिए अपने छोटे भाई कांग्रेस से राव यादुवेंद्र सिंह को भी हराने में कोई कसर नही छोड़ी थी। इस बार तस्वीर पूरी तरह से बदल गई है। विक्रम यादव अब राव खेमें से छिटक चुके हैं। इसकी अंदरखाने कई वजहे हैं। पिछले पांच सालों में विक्रम यादव ने भाजपा संगठन में ऊपर से नीचे तक अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है ओर वे कभी भी निष्क्रिय नजर नही आए। यही वजह है की वे इस बार दमदार तरीके से अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं। विक्रम यादव के पास भी अपने समर्थकों की अच्छी खासी फौज है जिसका प्रदर्शन वे समय समय पर करते रहे हैं। मौजूदा विधायक लक्ष्मण यादव से उनका छत्तीस का आंकड़ा है। दोनो के बीच कई बार मतभेद सार्वजनिक हो चुके हैं। विक्रम यादव खुद भाजपा हाईकमान को आगाह कर चुके हैं की अगर इस बार टिकट का सही चयन नहीं हुआ तो पार्टी को भारी नुकसान हो सकता है। उनका इशारा लक्ष्मण यादव को दूसरी बार टिकट देने से रोकने पर था। विक्रम यादव की खास बात यह है की वे काफी उदार ओर संयम से काफी कुछ बर्दास्त कर जाते हैं। उनकी परेशानी यह है की उनके कुछ बेहद करीबियों ने सत्ता में रहते हुए उनकी इमेज को ताक पर रखकर अपने निजी एजेंडों को पूरा किया जिसका खामियाजा उन्हें काफी समय तक भुगतना पड़ा। हालांकि अब वे उनके साथ नही है लेकिन विक्रम यादव को राजनीति में अपने दम पर स्थापित करने के लिए अच्छा खासा संघर्ष करना पड़ा जो इस चुनाव में उनके द्वारा चलाए जा रहे जनसंपर्क अभियान में साफ तोर से नजर आ रहा है। कुल मिलाकर विक्रम यादव इस चुनाव में पूरी तरह से अपनी मौजूगी दिखाकर हाईकमान को महसूस करा रहे हैं की कोसली में उनका बायोडाटा भी बहुत मजबूत है। देखना यह है की हाईकमान आने वाले दिनों में क्या निर्णय लेता है।