कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) द्वारा शुरू की गई एक अनोखी योजना ने शहर में तीखी बहस छेड़ दी है। इस योजना के तहत, शहर के लगभग 5,000 आवारा कुत्तों को रोजाना चिकन, चावल और सब्जियों से बना पौष्टिक भोजन खिलाने का निर्णय लिया गया है। इस पहल का अनुमानित खर्च 2.8 से 2.9 करोड़ रुपये सालाना है, जिसने जनता और राजनेताओं के बीच गर्मागर्म चर्चा का विषय बन गया है।
इस एक वर्षीय पायलट योजना का नाम ‘कुक्किर तिहार’ रखा गया है, जिसे इसकी सफलता के आधार पर एक और वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। बीबीएमपी के अधिकारियों के अनुसार, यह योजना ‘वन हेल्थ’ कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसके अंतर्गत रेबीज नियंत्रण, टीकाकरण और नसबंदी जैसे प्रयास शामिल हैं। योजना का उद्देश्य आवारा कुत्तों की आक्रामकता को कम करना, काटने की घटनाओं में कमी लाना और रेबीज जैसे जानलेवा रोगों पर नियंत्रण पाना है। बेंगलुरु में हर महीने कुत्ते काटने के लगभग 500 से 1,500 मामले सामने आते हैं। मई 2025 में ही 16,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए।
भोजन में क्या-क्या होगा?
इस योजना के तहत प्रत्येक कुत्ते को रोजाना 367 से 600 ग्राम वजन वाला भोजन दिया जाएगा, जिसमें 150 ग्राम चिकन, 100-100 ग्राम चावल और सब्जी, 10 ग्राम तेल और थोड़ा नमक व हल्दी शामिल होंगे। एक सर्विंग में 465 से 750 किलो कैलोरी तक ऊर्जा होती है। यह भोजन एफएसएसएआई-पंजीकृत केंद्रीकृत रसोईघरों में तैयार किया जाएगा, जिनमें सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जाएगी। खाना सुबह 11 बजे से पहले 100-125 फीडिंग प्वाइंट्स पर वितरित किया जाएगा।
कितना आएगा खर्चा?
इस योजना पर सालाना लगभग 2.8 से 2.9 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। बीबीएमपी ने खाना बनाने और फीडिंग पॉइंट्स के आसपास स्वच्छता बनाए रखने के लिए टेंडर जारी किए हैं।
विवाद और आलोचना
हालांकि इस योजना को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं। कांग्रेस सांसद कार्ति पी. चिदंबरम और कई स्थानीय नागरिकों ने इसपर बीबीएमपी की प्राथमिकताओं पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि इतने पैसे आवारा कुत्तों के लिए भोजन पर खर्च करने के बजाय नसबंदी, टीकाकरण या शेल्टर बनाने पर किए जाने चाहिए।
कार्ति ने एक्स पर लिखा, “क्या यह सच है? कुत्तों का सड़कों पर कोई स्थान नहीं है। इन्हें शेल्टर में शिफ्ट किया जाना चाहिए, जहां इन्हें भोजन, टीकाकरण और नसबंदी दी जाए। उन्हें सड़कों पर खुला छोड़ना एक बड़ा स्वास्थ्य और सुरक्षा खतरा है।” कुछ आलोचकों ने यह भी ध्यान दिलाया कि बीबीएमपी एक कुत्ते के भोजन पर प्रतिदिन 22 रुपये खर्च कर रही है, जबकि स्कूलों में बच्चों के लिए मिड-डे मील पर प्रतिदिन मात्र 12.42 रुपये खर्च होते हैं।
बीबीएमपी का पक्ष
विवादों के जवाब में बीबीएमपी अधिकारियों ने कहा, “यह फीडिंग प्रोग्राम टीकाकरण और नसबंदी में मदद करेगा। नियमित भोजन से कुत्तों का स्वास्थ्य सुधरेगा, जिससे भूख के कारण होने वाली आक्रामकता कम होगी और उन्हें ट्रैक करना आसान होगा। यह योजना 2030 तक रेबीज खत्म करने के लक्ष्य में अहम भूमिका निभाएगी।” बेंगलुरु में वर्तमान में लगभग 2.79 लाख आवारा कुत्ते हैं, और बीबीएमपी का मानना है कि यह योजना केवल खाने तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे शहर में पशु स्वास्थ्य और सार्वजनिक सुरक्षा के व्यापक एजेंडे का हिस्सा है।