बावल- रेवाड़ी- कोसली सीटों पर भाजपा इस भ्रम को जितनी जल्दी हो निकाल दे

कुछ सीटों पर भाजपा प्रत्याशी राव इंद्रजीत को चमत्कारी जिन्न समझ रहे हैं


रणघोष अपडेट. कोसली. बावल. रेवाड़ी से ग्राउंड रिपोर्ट

 जिन भाजपा प्रत्याशियों को इस चुनाव में लक्की ड्रा की तरह टिकट मिली है। वे इस भ्रम में नही रहे की चंडीगढ़- दिल्ली से कोई बड़ा नेता लहर लेकर आएगा ओर यहा बांटकर उनकी जीत को सुनिश्चित कर देगा। या टिकट दिलाने वाले उनके नेता चमत्कारी जिन्न बनकर आसमान से जीत का गंगाजल छिड़कर पल झपकते ही उन्हें चंडीगढ़ पहुंचा देंगे। मौजूदा स्थिति पर गौर किया जाए तो ऐसे भाजपा उम्मीदवारों की जीत पूरी तरह से राम भरोसे है। बावल प्रत्याशी को यह नही पता की अगले दिन वे जिस गांव, गली मोहल्ले में जा रहे हैं उसका रास्ता कहा से होकर जाता है। प्रबंधन के नाम पर जिसने जो कह दिया वे सफेद कुर्ता पायजामा पहनकर निकल लिए। प्रबंधन किसके हाथों मेँ है उनकी समाज में क्या इमेज है, वे कितने गंभीर है। वे चुनाव के नाम पर पार्टी की चिंता कर रहे है या अपनी। यह समझना भी बहुत जरूरी है। भाजपा में पिछले कुछ दिनों से संगठन के नाम पर आ रहे बजट में लखपति- करोड़पति बनने की होड़ मची हुई है। प्रत्याशी को यह भी नही पता की   विरोधियों की गतिविधियों पर नजर रखकर किस रणनीति पर काम किया जाए। बस हाथ जोड़कर जनता के बीच जा रहे हैं। उन्हें लगता है की राव इंद्रजीत ने टिकट दिलाई है आधी से ज्यादा टेंशन उनकी है। प्रतिष्ठा उनकी दांव पर लगी हुई है। रही सही जिम्मेदारी भाजपा संगठन की है। बावल वाले प्रत्याशी ने तो एक आज्ञाकारी शिष्य की तरह काम किया है। उन्हें तो टिकट देने से दो दिन पहले सरकारी नौकरी से त्यागपत्र देकर भाजप ज्वाइन करने के लिए कहा था जिस पर उन्होंने ईमानदारी से अमल किया। इसके अलावा उनके पास बावल को बताने के लिए कुछ नही है। उधर टिकट नही मिलने पर यहा से दो बार विधायक रहे डॉ. बनवारीलाल की खामोशी ओर दिमाग में चल रही रणनीति भाजपा की जमीन पर नजर आ रही वोटों की रही सही फसल को टिडडी दल की तरह साफ कर सकती है। कोई कितनी ही सफाई दे जिनका नाम टिकट के पैनल में था और मीर्डिया की सुर्खियों में छाया रहा वे किसी सूरत में मौजूदा प्रत्याशी की मदद नही करेंगे। औपचारिकता जरूर निभाएंगे। एक टिकट दावेदार तो कांग्रेस में शामिल हो गया। कुल मिलाकर राव इंद्रजीत जिन्न बनकर उनकी जीत को मजबूत कर देंगे इस भ्रम को जितनी जल्दी हो सके निकाल दे तो बेहतर होगा। यही स्थिति रेवाड़ी ओर कोसली की भी बनी हुई है जहां प्रत्याशियों का सामना कांग्रेस के जमीनी हैसियत वाले नेताओं से हो रहा है जो कई सालो से जनता के मिजाज को समझकर आगे बढ़ रहे थे।