आईजीयू में दैनिक रणघोष का एक्सपोज

एक छात्र को एक सेमेस्टर की तीन डीएमसी जारी


पहली में 229 दूसरी में 348 और तीसरी में 404 नंबर देकर बना दिया टॉपर


-24 घंटे में आईजीयू के खिलाफ 30 से ज्यादा शर्मसार करने वाली  शिकायतें मिली,


रणघोष खास. रेवाड़ी


 इंदिरा गांधी यूनिवर्सिटी मीरपुर  में लगातार  एजुकेशन सिस्टम के नाम पर बहुत कुछ गलत होता रहा और अभी भी अलग अलग रास्तों से शर्मसार करने वाले मामले सामने आ रहे हैं। रणघोष ने दो दिन पहले एक मामले से खुलासे की शुरूआत करते हुए एक हेल्पलाइन नंबर 7206492978 जारी किया था। पिछले 24 घंटे में 30 से ज्यादा शिकायतें पूरी जिम्मेदारी और जवाबदेही के  पास रणघोष कार्यालय में पहुंच चुकी है जिसमें अधिकांश पुरानी है जिसे वाइस चांसलर से लेकर राज्यपाल तक भेजा  जा चुका है। वे अभी भी विचाराधीन है या अलग अलग कारणों से दबा दी गई है। गौर करने लायक बात यह है शिकायत करने वालों में आईजीयू के कुछ प्रोफेसर से लेकर विद्यार्थी एवं कर्मचारी तक शामिल है। कुछ शिकायतों में गंभीर आरोप के साथ खुलासे भी किए हुए हैं। शिकायत करने वाले इस बात पर पूरी तरह से सहमत नजर आए की आईजीयू में अनुबंध से लेकर स्थाई पदों पर कार्यरत अधिकारी, सीनियर्स प्रोफेसर भी अलग अलग धड़ों में बंटे हुए हैं। अनुबंध वाले कुछ सहायक प्रोफेसर एक ही समय में तीन जगह डयूटी करते नजर आ रहे हैं तो कुछ प्रोफेसर पर पीएचडी पूरी कराने, परीक्षा में अच्छे नंबर देने के नाम पर कुछ छात्राओं के साथ यौन प्रताड़ना के आरोप भी है जिसकी शिकायतें पुलिस तक भी पहुंची है लेकिन उसे भी किसी ना किसी तौर पर दबा दिया गया। सबसे ज्यादा खेल अनुबंध पर लगे कर्मचारियों एवं प्रोफेसर्स ने किए हैं जो ज्यादा आंतरिक  मूल्याकंन में ज्यादा नंबर देने के नाम पर वसूली करते हैं, अपनी मनमानी से किसी को फेल या अनुपस्थित दिखाकर मानसिक और आर्थिक तोर पर प्रताड़ित करते हैं। यहां तक की छात्र के रिकार्ड से छेड़छाड़ के साथ महत्वपूर्ण कागजात तक गायब कर दिया जाता हैद्ध  रणघोष सिलसिलेवार इन मामलों का खुलासा कर रहा है। विवि प्रबंधन उजागर किए जाने वाले मामलों पर अपना पक्ष रखे। हम उसे प्रमुखता के साथ प्रकाशित करेंगे।

 एलएलबी छात्र की एक ही सेमेस्टर की तीन डीएमसी जारी कर दी

 इस मामले की शिकायत आईजीयू प्रबंधन के पास लिखित में दी जा चुकी है। दिसंबर 2020 में एलएलबी प्रथम सेमेस्टर में एक छात्र की तीन डीएमसी जारी कर दी गई है। हम छात्र का नाम उजागर नही कर रहे हैं लेकिन उसका रिकार्ड बता रहे हैं। 8 जून 2020 को इस छात्र की पहली डीएमसी जारी हुई जिसमें जिसमें कुल पांच विषयों में वह दो में फेल दिखाया गया। 29 सितंबर 2021 को इसी सेमेस्टर की डीएमसी जारी हुई जिसमें यह विद्यार्थी शानदार नंबरों  के साथ सभी विषयों में पास हो जाता है। जिस विषय में पहले उसे 28 नंबर आए उसे दूसरी डीएमसी में 71 नंबर हासिल हुए। इसी तरह एक अन्य पेपर में पहले 34 नंबर दूसरी डीएमसी में शानदार 75 अंक हासिल किए। यहा कमाल की बात देखिए। जिस पेपर में वह फेल नही हुआ। उसे पहली जारी डीएमसी में 40 नंबर मिले उसे दूसरी डीएमसी में बिना कुछ किए 40 की जगह 75 नंबर दिखा दिए। बात यही खत्म नही होती है। इस छात्र को इसी सेमेस्टर की तीसरी डीएमसी भी मिल जाती है जो पिछली दो अन्य डीएमसी से कोई मेल नही खा रही है। इसमें तो नंबरों का रिकार्ड ही तोड़ दिया गया। जो छात्र पहली जारी डीएमसी के एक विषय में फेल दिखाया गया वह दूसरी डीएमसी में 75 नंबर ले जाता है। तीसरी डीएमसी में उसे 94 नंबर दे दिए गए। इससे बड़ा कमाल देखिए। जो छात्र जिस विषय में शुरूआत से ही पास था। उसे दूसरी डीएमसी में 40 से 75 नंबर दिए। तीसरी में यह नंबर बढ़ाकर 94 कर दिए। अभी और ठहरिए। जिस अन्य दूसरे विषय में वह पहली डीएमसी में फेल दिखाया गया था। दूसरी डीएमसी में उसे 75 के बाद तीसरी डीएमसी में 89 नंबर देखकर अंकों की गरिमा को तार तार कर दिया। सोचिए पहली जारी डीएमसी में इस छात्र को कुल 500 में से केवल 229 नंबर आए जिसमें दो विषयों में उसे फेल दिखाया गया। दूसरी डीएमसी में यही छात्र प्रथम पोजीशन के साथ शानदार 348 नंबर हासिल करता है। तीसरी जारी डीएमसी में यही छात्र इसी सेमेस्टर में 500 में 404 नंबर लेकर आईजीयू की आंखों का तारा बन जाता है।

राज्यपाल से लेकर वीसी तक पहुंच चुकी है शिकायत

इस मामले को उठाने वाले रिटायर अधिकारी व इसी विवि में एलएलबी में टॉप पोजीशन हासिल कर चुके रामौतार एकलव्य ने तीन साल पहले विवि के एग्जाम कंट्रोलर से लेकर विवि प्रबंधन को शिकायत दर्ज कराई थी। इस अधिकारी का कहना है कि उसने इस छात्र की  डीएमसी आईजीयू की वेबसाइट से ऑन लाइन प्राप्त की है। इतना बड़ा फ्राड होने के बावजूद भी किसी ने कोई एक्शन नही लिया। यह हैरान करने वाली बात है। ऐसा लग रहा है की आईजीयू में शिक्षा के नाम पर गोरखधंधा चल रहा है जिसे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर अनुबंध व स्थाई प्रोफेसर अलग अलग गुटों में गिरोह की तरह इसे चला रहे हैं। उनके पास  कई ऐसे मामले है जिसकी निष्पक्ष जांच कराने की जरूरत है।