Delhi-Gurugram Flood Crisis: Uma Bharti की नसीहतें – प्रकृति से खिलवाड़ का अंजाम सिर्फ पछतावा

दिल्ली से गुरुग्राम तक की हालत पर पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री रह चुकीं उमा भारती ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कई अहम नसीहतें दी हैं। एक तरफ दिल्ली यमुना में आई बाढ़ से बेहाल है तो दूसरी तरफ गुरुग्राम में लोग जलभराव और ट्रैफिक जाम की मुश्किलों से जूझ रहे हैं। इस बीच भाजपा की फायरब्रांड नेता उमा भारती ने कहा कि यदि आस्था, प्रकृति और विकास का संतुलन नहीं बनाया गया तो अंतिम परिणाम सिर्फ पछतावा होगा।

उन्होंने उत्तराखंड में आई कई आपदाओं का जिक्र करते हुए कहा कि प्रकृति से खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। गुरुवार को लगातार किए गए कई ट्वीट्स में उन्होंने दिल्ली और गुरुग्राम की स्थिति को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने लिखा, “दिल्ली में बहुत अंदर तक यमुना का पानी आ गया है। हथिनी कुंड बैराज से भी पानी छोड़ा गया जो हरियाणा में है। दिल्ली और हरियाणा दोनों जगह हमारी सरकारें हैं। उचित संवाद और समय पर चेतावनी बेहद जरूरी है। मुझे विश्वास है कि दोनों राज्यों की सरकारें इस पर खरी उतरेंगी।”

उमा भारती ने दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को भी टैग किया। उन्होंने कहा कि बारिश को सरकार रोक नहीं सकती लेकिन बारिश से होने वाली जनहानि और धनहानि के पीछे तीन मुख्य कारण होते हैं—पहाड़ से मलवे का लुढ़कना जो अंधाधुंध पेड़ कटाई से होता है, फ्लड प्लेन में अवैध निर्माण और बैराजों में जल प्रबंधन की कमी।

उन्होंने कहा कि नदियां भारत भूमि की रक्त वाहिकाएं हैं, ज्यादा या कम फ्लो दोनों ही हानिकारक होते हैं। विकास योजनाएं और बसाहट प्राकृतिक संतुलन को ध्यान में रखकर होनी चाहिए। प्राकृतिक आपदा सरकार नहीं लाती लेकिन शासन, प्रशासन और समाज की भूलों से विपदा विकराल रूप ले लेती है। उन्होंने कहा—“लम्हें गलती करते हैं और सदियां सजा पाती हैं।”

केदारनाथ, धराली और जोशीमठ जैसी त्रासदियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह सिर्फ भारी बारिश और बादल फटने से नहीं बल्कि मानवीय भूलों से भी विकराल बनी थीं। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि गांधी सरोवर का सीमेंटीकरण कर दिया गया जिससे जल का प्राकृतिक प्रवाह रुक गया और आपदा विकराल रूप में सामने आई।

उन्होंने कहा कि दिल्ली में यमुना का किनारा, रावी-व्यास के तट, धराली और हरसिल में भागीरथी के किनारे अवैध बसाहटें हो चुकी हैं। नदी का अवतरण तय होता है, कई बार सालों तक पानी नहीं आता लेकिन जब आता है तो दोनों छोरों को छू लेता है। इसरो की रिपोर्ट्स भी कई बार दबा दी जाती हैं।

गुरुग्राम की स्थिति का जिक्र करते हुए उमा भारती ने कहा कि वहां का जानलेवा ट्रैफिक जाम और जलभराव भी बरसाती नालों और नदियों के किनारे अवैध बसाहट का नतीजा है। उन्होंने चेतावनी दी कि हिमालय, नदियां और वन हमें आगाह कर रहे हैं कि उनसे खिलवाड़ मत करो, वरना न हम बचेंगे और न तुम।