नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को दिल्ली-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम (Delhi-Meerut Regional Rapid Transport System) परियोजना के कार्यान्वयन में देरी पर दिल्ली सरकार की आलोचना की. न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अगुवाई वाली पीठ को दिल्ली सरकार ने सूचित किया कि वह परियोजना के लिए धन आवंटित करने में असमर्थ है. बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, न्यायालय ने सवाल किया कि सरकार के पास उस परियोजना के लिए धन क्यों नहीं है जो सुचारू परिवहन सुनिश्चित करेगी, जबकि उसने विज्ञापनों के लिए धन आवंटित किया था. कोर्ट ने पूछा, “अगर आपके पास विज्ञापनों के लिए पैसा है, तो आपके पास उस परियोजना के लिए पैसा क्यों नहीं है, जो सुचारू परिवहन सुनिश्चित करेगी?” इसके साथ ही न्यायालय ने दिल्ली सरकार को पिछले तीन वित्तीय वर्षों में आरआरटीएस (RRTS Project) के विज्ञापनों पर अपने खर्च का विस्तृत ब्यौरा पेश करने का निर्देश दिया. दिल्ली-मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) एक सेमी-हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर (Semi-high-speed rail corridor) है, जिसका निर्माण वर्तमान में किया जा रहा है. यह कॉरिडोर दिल्ली, गाजियाबाद और मेरठ शहरों को जोड़ेगा. यह रैपिडएक्स परियोजना (RapidX project) के चरण I के तहत नियोजित तीन रैपिड रेल गलियारों में से एक है.