जावेद अख्तर के विरोध में उतरा जमीयत, बंगाल उर्दू अकादमी को रोकना पड़ा मुशायरा

कोलकाता, 2 सितंबर 2025। पश्चिम बंगाल उर्दू अकादमी को अपना चार दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा है। कारण है जमीयत उलेमा-ए-हिंद का विरोध, जिसने बॉलीवुड गीतकार और शायर जावेद अख्तर के कार्यक्रम में आमंत्रण पर नाराज़गी जताई। जमीयत का कहना है कि उनकी उपस्थिति से अल्पसंख्यकों की भावनाएं आहत हो सकती हैं।


विरोध का कारण

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के नेताओं का आरोप है कि जावेद अख्तर इस्लाम को लेकर अपमानजनक टिप्पणियां कर चुके हैं। शनिवार को संगठन की ओर से अकादमी को पत्र लिखकर चेतावनी दी गई कि अख्तर की मौजूदगी समुदाय को आहत करेगी। इसके बाद उर्दू अकादमी ने कार्यक्रम को टालने का निर्णय लिया।


कार्यक्रम का उद्देश्य

उर्दू अकादमी का कार्यक्रम ‘हिंदी सिनेमा में उर्दू’ शीर्षक से आयोजित होना था, जिसमें भारतीय फिल्म उद्योग में उर्दू भाषा और संस्कृति की भूमिका पर चर्चा की जानी थी। जावेद अख्तर को मुशायरे की अध्यक्षता के लिए बुलाया गया था। लेकिन विवाद बढ़ने के चलते इसे पोस्टपोन करना पड़ा।


जमीयत का बयान

जमीयत के महासचिव मुफ्ती अब्दुस सलाम ने कहा, “जावेद अख्तर उर्दू में बड़ा योगदान रखते हैं, लेकिन इस्लाम को लेकर की गई टिप्पणियां अस्वीकार्य हैं। पश्चिम बंगाल उर्दू अकादमी अल्पसंख्यकों के लिए है और उसे उनकी भावनाओं की कद्र करनी चाहिए।”


उर्दू अकादमी की पृष्ठभूमि

पश्चिम बंगाल उर्दू अकादमी की स्थापना 1987 में हुई थी, उस समय राज्य में वामपंथी सरकार थी। अकादमी का उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदाय में उर्दू भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देना है।